मुश्किल दौर में ट्रांसपोर्ट कारोबार का पहिया
कोलकाताPublished: Jun 04, 2020 11:02:18 pm
आर्थिक सुस्ती के बाद कोरोना संकट से देश में ट्रक ट्रांसपोर्ट कारोबार हिल सा गया है। कारोबार अब तक के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है। कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉकडाउन के चलते देश में पंजीकृत करीब 1 करोड़ 3 लाख ट्रकों (हैवी व लाइट) के पहिए थम से गए थे। ट्रक ट्रांसपोर्टेशन के बड़े केन्द्रों- दिल्ली एनसीआर, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलूरु, जयपुर, अहमदाबाद, गुवाहाटी, कानपुर और विजयवाड़ा आदि में कारोबारी गतिविधियां बंद सी हो गई थी।
मुश्किल दौर में ट्रांसपोर्ट कारोबार का पहिया
आर्थिक सुस्ती के बाद कोरोना संकट से कारोबार दांव पर
व्यवसाय से जुड़े 15 करोड़ की रोजी रोटी पर संकट के बादल
जीएसटी में छूट समेत सरकार से कई रियायतें चाहते कारोबारी रवीन्द्र राय
कोलकाता. आर्थिक सुस्ती के बाद कोरोना संकट से देश में ट्रक ट्रांसपोर्ट कारोबार हिल सा गया है। कारोबार अब तक के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है। कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉकडाउन के चलते देश में पंजीकृत करीब 1 करोड़ 3 लाख ट्रकों (हैवी व लाइट) के पहिए थम से गए थे। ट्रक ट्रांसपोर्टेशन के बड़े केन्द्रों- दिल्ली एनसीआर, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलूरु, जयपुर, अहमदाबाद, गुवाहाटी, कानपुर और विजयवाड़ा आदि में कारोबारी गतिविधियां बंद सी हो गई थी। अब करीब 30 से 40 फीसदी ट्रक चल जरूर रहे हैं, पर ट्रक कारोबार को करीब 65 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। 2020 में जहां ट्रक कारोबार के 560 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद थी, अब इसके आसपास भी पहुंचना मुश्किल लग रहा है। ट्रक उद्योग को गति देने के लिए कारोबारी जीएसटी में छूट समेत सरकार से कई रियायतें चाहते हैं।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) के पदाधिकारियों के मुताबिक ट्रकों के धंधे में लगे लोगों के लिए ऐसे हालात से उबरना आसान नहीं होगा। जो आर्थिक हालात बने हैं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है यदि जल्द स्थिति नहीं सुधरी तो ट्रक कारोबार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े 15 से 16 करोड़ लोगों की रोजी रोटी पर संकट के बादल छा सकते हैं। इनमें ट्रक मालिक, चालक, क्लीनर, ऑफिस कर्मचारी तथा इनके परिजन शामिल हैं।
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गहरी मार कारोबार पर
महानगर कोलकाता के ट्रक कारोबारी रमेश लाखोटिया कहते हैं कि कोरोना की गहरी मार कारोबार पर पड़ी है। अब भी हमारे 125 में से 48 ट्रक सड़क पर खड़े हैं। अधिकांश ड्राइवर और क्लीनर अपने गांवों को लौट गए हैं। वे कहते हैं कि ट्रक चले या न चले एक ट्रक के पीछे रोजाना ७०० रुपए खर्च है, क्योंकि हमें टैक्स, बीमा, परमिट आदि के लिए भुगतान अग्रिम तौर पर करना पड़ता है। फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस कहते हैं कि यह हमारे लिए चुनौती भरा दौर है। डिमांड सप्लाई की चेन टूटी हुई है। केन्द्र सरकार को फिटनेस सर्टिफिकेट, बीमा, टैक्स में राहत देनी चाहिए तो राज्य सरकार को लोडिंग का वेट बढ़ाना चाहिए।
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कारोबार पर पड़ी मार की वजहें
ट्रक व्यवसाय पर पड़ रही मार के कई कारण हैं। आर्थिक सुस्ती के चलते मार्केट में नई मांग नहीं आ पा रही है। सरकार की जीएसटी नीति ने मंदी की मार बढ़ा दी है। इंश्योरेंस में बढ़ोतरी के चलते ट्रक कारोबारी अपने धंधे का विस्तार करने की बजाए उसे समेटने पर जोर दे रहे हैं। बाजार में लदान के ऑर्डर आधे रह गए हैं। हाल में ट्रक खरीदने वालों के सामने लोन की किस्त देने का संकट खड़ा हो गया है।
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एक साल की रियायत मिले
पहले नोटबंदी, जीएसटी, फिर आर्थिक सुस्ती और अब लॉकडाउन के चलते ट्रक व्यवसाय बुरे दौर से गुजर रहा है। पश्चिम बंगाल में फिलहाल 25 से 30 फीसदी ही ट्रक सड़कों पर दौड़ रहे हैं। देश में 11 से 12 फीसदी रोजगार मुहैया कराने वाले ट्रक कारोबार के लिए केन्द्र सरकार ने कोई राहत पैकेज नहीं दिया है। टैक्स, बीमा, नेशनल परमिट के भुगतान में कम से कम एक साल की रियायत मिलनी चाहिए। बैंकों को लोन के भुगतान की समय सीमा बढ़ानी चाहिए।
अमृत शेरगिल, उपाध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन
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जीएसटी बिल्कुल माफ हो
इस कठिन दौर में केन्द्र सरकार को पहल करनी चाहिए। हम देश सेवा कर रहे हैं। लिहाजा सरकार को मौजूदा 12 फीसदी जीएसटी को शून्य कर देना चाहिए। हमारे लिए आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। ईएमआई, बीमा, परमिट पर सरकार को रियायत देनी चाहिए। थर्ड पार्टी बीमा जिसे 22 हजार 500 से बढ़ाकर 48 हजार रुपए कर दिया गया, इसे भी कम करना चाहिए, वरना देश के किसानों की तरह कारोबारी भी आत्महत्या को मजबूर हो जाएंगे।
एस के मित्तल, चेयरमैन, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस