एनडीआरएफ के डीआईजी-ऑपरेशंस रणदीप कुमार राणा ने बताया कि हालात अब पूरी तरह हमारे नियंत्रण में है और बंगाल में एनडीआरएफ की 9 टीमें किसी भी हालात का सामना करने के लिए हर पल मुस्तैद थी। तूफान के बंगाल से जाते ही कोलकाता एयरपोर्ट से शनिवार सुबह १० बजे फ्लाइट सर्विस शुरू हो गई और सबसे पहली फ्लाइट एयर इंडिया ने सुबह 9.57 मिनट पर कोलकाता से अगरतला के लिए उड़ान भरी। कोलकाता, सियालदह, हावड़ा में भी रेल सेवा बहाल हो गई। कोलकाता हवाई अड्डे से शनिवार सुबह 9.57 मिनट पर फ्लाइट सर्विस के साथ-साथ सियालदह और हावड़ा में ट्रेन सेवा भी शुरू कर दी गई।
—-12 लाख लोगों को बचाया, युद्धस्तर पर थी तैयारी —45 हजार कर्मचारियों ने संभाले हालात
—26 लाख भेजे मैसेज –एनडीआरएफ ने संभाला मोर्चा –20 साल पहले आए सुपर साइक्लोन में मारे गए थे 10 हजार लोग
—26 लाख भेजे मैसेज –एनडीआरएफ ने संभाला मोर्चा –20 साल पहले आए सुपर साइक्लोन में मारे गए थे 10 हजार लोग
—फैनी से निबटने के लिए 300 हाईपावर सुपरबोट थी तैनात
फैनी से ओडिशा में 12 लोगों की मौत हुई। पहले मृतक संख्या 8 आठ थी, जो मयूरभंज जिले में 4 और लोगों के मारे जाने के बाद बढक़र 12 हो गई। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अनुसार 12 लाख लोगों को सुरक्षित बचा सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया गया। 7 हजार रसोईघरों और 9 हजार शेल्टर का इंतजाम, 45 हजार से ज्यादा वॉलंटियर रहे मुस्तैद। आपदा प्रबंधन में आईआईटी की भी मदद ली। इस बार क्षति कम हुई क्योंकि राज्य और केंद्र सरकार को काफी पहले तूफान की जानकारी मिल चुकी थी। 26 लाख लोगों को मैसेज कर तमाम जानकारियां दी गईं। 43 हजार कर्मचारियों और वॉलंटियर्स को हालात से निपटने के लिए तैनात किया था। ओडिशा और केंद्र सरकार के तमाम संबंधित विभाग फैनी से निपटने के लिए तैयार थे। आपदा प्रबंधन के 1 हजार प्रशिक्षित कर्मचारी खतरे की आशंका वाली जगहों पर भेजे गए। 300 हाईपावर बोट हर पल तैनात। टीवी, कोस्टल साइरन और पुलिस के अलावा हर उस साधन का उपयोग किया गया जो आमजन की सुरक्षा के लिए जरूरी था। इसके लिए उडिय़ा भाषा का ही इस्तेमाल किया गया। संदेश साफ था-तूफान आ रहा है, शिविरों में शरण लें। इस बार 12 लाख लोगों को बचाया गया।
फैनी से ओडिशा में 12 लोगों की मौत हुई। पहले मृतक संख्या 8 आठ थी, जो मयूरभंज जिले में 4 और लोगों के मारे जाने के बाद बढक़र 12 हो गई। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अनुसार 12 लाख लोगों को सुरक्षित बचा सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया गया। 7 हजार रसोईघरों और 9 हजार शेल्टर का इंतजाम, 45 हजार से ज्यादा वॉलंटियर रहे मुस्तैद। आपदा प्रबंधन में आईआईटी की भी मदद ली। इस बार क्षति कम हुई क्योंकि राज्य और केंद्र सरकार को काफी पहले तूफान की जानकारी मिल चुकी थी। 26 लाख लोगों को मैसेज कर तमाम जानकारियां दी गईं। 43 हजार कर्मचारियों और वॉलंटियर्स को हालात से निपटने के लिए तैनात किया था। ओडिशा और केंद्र सरकार के तमाम संबंधित विभाग फैनी से निपटने के लिए तैयार थे। आपदा प्रबंधन के 1 हजार प्रशिक्षित कर्मचारी खतरे की आशंका वाली जगहों पर भेजे गए। 300 हाईपावर बोट हर पल तैनात। टीवी, कोस्टल साइरन और पुलिस के अलावा हर उस साधन का उपयोग किया गया जो आमजन की सुरक्षा के लिए जरूरी था। इसके लिए उडिय़ा भाषा का ही इस्तेमाल किया गया। संदेश साफ था-तूफान आ रहा है, शिविरों में शरण लें। इस बार 12 लाख लोगों को बचाया गया।