कोलकाता

कैसे तूफान ‘फैनी’ की तबाही को ‘मौत का मंजर’ बनने से रोका

यूएनओ और अमेरिका ने बांधे भारत की तारीफ के पुल—-की जमकर सराहना –कहा—-दुनिया के सामने पेश की मिसाल

कोलकाताMay 05, 2019 / 05:38 pm

Shishir Sharan Rahi

कैसे तूफान ‘फैनी’ की तबाही को ‘मौत का मंजर’ बनने से रोका

कोलकाता/नई दिल्ली/पुरी. ओडिशा में तबाही मचाने वाले भीषण चक्रवाती तूफान ‘फैनी’ के प्रकोप रोकने के लिए ओडिशा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता नगर निगम और एनडीआरएफ ने अपनी बेहतर योजना के कारण दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएनओ) और अमेरिका ने भी तूफान के कहर से निपटने के लिए इस सरकारों के किए गए कार्यों की जमकर सराहना की। संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के आपदा जोखिम रिडक्शन के प्रवक्ता डेनिस मैकक्लेन ने भारत सरकार की शून्य-हताहत आकस्मिक चक्रवात संबंधी तैयारियों की नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि मौसम विभाग के शुरुआती चेतावनियों की लगभग सटीकता ने अधिकारियों को अच्छी तरह से लक्षित बचाव योजना का संचालन करने में सक्षम कर दिया था। आपदा के खतरे में कमी लाने वाली यूएन की एजेंसी ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की फोनी के बारे में सटीक चेतावनी की जमकर तारीफ की है। डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (आपदा के खतरे में कमी) फॉर यूनाइटेड नेशंस सेक्रेटरी जनरल की विशेष प्रतिनिधि और जिनेवा स्थित यूएन ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन की प्रमुख मामी मिजोटरी ने कहा कि ओडिशा और बंगाल में कम से कम नुकसान के दृष्टिकोण ने तबाही में काफी कमी ला पाने में सफलता पाई। सरकार ने लोगों को सचेत करने में और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में अपनी पूरी मशीनरी झोंक दी। मौसम विभाग का अनुमान था कि बंगाल में प्रवेश करने के बाद तूफान की रफ्तार 100 से 115 किलोमीटर प्रति घंटे होगी, लेकिन यह केवल 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही सिमट गया। क्षेत्रीय निदेशक गोकुल चंद्र देवनाथ ने बताया कि 24 घंटे से अधिक समय तक ओडिशा और समुद्र तटीय क्षेत्र के समतल इलाके में चलने की वजह से इसकी गति धीमी हो गई, इसलिए बंगाल में खास असर नहीं हुआ। रातभर बंगाल के समतल इलाके में हवा चलती रही। कहीं-कहीं बारिश से पानी भर गया है। मेदनीपुर, झाडग़्राम, दीघा, उत्तर और दक्षिण 24 परगना के विस्तृत इलाके में तेज तूफान की वजह से कुछ घरों को नुकसान पहुंचा है। आपदा प्रबंधन की टीम और राज्य प्रशासन की तत्परता की वजह से लोगों को पहले ही सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया था।
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—-हालात अब नियंत्रण में-एनडीआरएफ
एनडीआरएफ के डीआईजी-ऑपरेशंस रणदीप कुमार राणा ने बताया कि हालात अब पूरी तरह हमारे नियंत्रण में है और बंगाल में एनडीआरएफ की 9 टीमें किसी भी हालात का सामना करने के लिए हर पल मुस्तैद थी। तूफान के बंगाल से जाते ही कोलकाता एयरपोर्ट से शनिवार सुबह १० बजे फ्लाइट सर्विस शुरू हो गई और सबसे पहली फ्लाइट एयर इंडिया ने सुबह 9.57 मिनट पर कोलकाता से अगरतला के लिए उड़ान भरी। कोलकाता, सियालदह, हावड़ा में भी रेल सेवा बहाल हो गई। कोलकाता हवाई अड्डे से शनिवार सुबह 9.57 मिनट पर फ्लाइट सर्विस के साथ-साथ सियालदह और हावड़ा में ट्रेन सेवा भी शुरू कर दी गई।
—-12 लाख लोगों को बचाया, युद्धस्तर पर थी तैयारी

—45 हजार कर्मचारियों ने संभाले हालात
—26 लाख भेजे मैसेज

–एनडीआरएफ ने संभाला मोर्चा

–20 साल पहले आए सुपर साइक्लोन में मारे गए थे 10 हजार लोग
—फैनी से निबटने के लिए 300 हाईपावर सुपरबोट थी तैनात
फैनी से ओडिशा में 12 लोगों की मौत हुई। पहले मृतक संख्या 8 आठ थी, जो मयूरभंज जिले में 4 और लोगों के मारे जाने के बाद बढक़र 12 हो गई। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अनुसार 12 लाख लोगों को सुरक्षित बचा सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया गया। 7 हजार रसोईघरों और 9 हजार शेल्टर का इंतजाम, 45 हजार से ज्यादा वॉलंटियर रहे मुस्तैद। आपदा प्रबंधन में आईआईटी की भी मदद ली। इस बार क्षति कम हुई क्योंकि राज्य और केंद्र सरकार को काफी पहले तूफान की जानकारी मिल चुकी थी। 26 लाख लोगों को मैसेज कर तमाम जानकारियां दी गईं। 43 हजार कर्मचारियों और वॉलंटियर्स को हालात से निपटने के लिए तैनात किया था। ओडिशा और केंद्र सरकार के तमाम संबंधित विभाग फैनी से निपटने के लिए तैयार थे। आपदा प्रबंधन के 1 हजार प्रशिक्षित कर्मचारी खतरे की आशंका वाली जगहों पर भेजे गए। 300 हाईपावर बोट हर पल तैनात। टीवी, कोस्टल साइरन और पुलिस के अलावा हर उस साधन का उपयोग किया गया जो आमजन की सुरक्षा के लिए जरूरी था। इसके लिए उडिय़ा भाषा का ही इस्तेमाल किया गया। संदेश साफ था-तूफान आ रहा है, शिविरों में शरण लें। इस बार 12 लाख लोगों को बचाया गया।
 

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