मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआरसी असम में लागू किया जा सकता है, क्योंकि यह असम समझौते, 1985 का हिस्सा था। इस समझौते पर तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और ऑल असम गण संग्राम परिषद के नेताओं की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए थे, जिन्होंने 1979 से छह साल के लंबे आंदोलन की अगुवाई की थी। 1985 में अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाने और निर्वासन की मांग की गई।
ममता बनर्जी ने कहा कि एनआरसी बंगाल में नहीं होगा, क्योंकि यहां हम सरकार चलाते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया है, क्योंकि ऐसी बातें धर्म के आधार पर नहीं की जानी चाहिए।
—- नहीं रोक पाएगी ममता सरकार ममता बनर्जी की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व पश्चिचम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अगर केन्द्र सरकार बंगाल में एनआरसी लागू करना चाहेगी तो ममता बनर्जी रोक नहीं पाएंगी। एनआरसी लागू करने अथवा नहीं करने का अधिकार केन्द्र सरकार को है। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, प्रधानमंत्री नहीं।