दिसंबर तक कारोबार बहुत खराब था जबकि आंशिक रूप से ही सही शैक्षिक गतिविधियों को फिर से खोलने वाले स्कूलों के साथ बहुत सारे लोग किताबें खरीदने आने लगे थे, पर महानगर में फिर से कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते लागू लॉकडाउन ने फिर ग्रहण लगा दिया।
कॉलेज स्ट्रीट में 1.5 किमी के दायरे में हब नई और सेकेंड हैंड किताबों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। कॉलेज स्ट्रीट के बारे में कहा जाता है कि जो किताब आपको कहीं नहीं मिलेगी वो यहां जरूर मिल जाएगी।
देश से लेकर विदेश तक के किताबों के शौकीनों को यहां पुरानी और दुर्लभ किताबों के पन्नों को पलटते हुए देखा जाता है।
बिक्री कम
कॉलेज स्ट्रीट के डेबुक स्टोर, स्वस्तिक बुक स्टोर के दुकानदारों (नाम न छापने की शर्त पर) ने बताया कि उच्च शिक्षा स्तर पर किताबों की बिक्री में हालांकि बहुत ज्यादा खराब असर नहीं पड़ा है।
बिक्री कम
कॉलेज स्ट्रीट के डेबुक स्टोर, स्वस्तिक बुक स्टोर के दुकानदारों (नाम न छापने की शर्त पर) ने बताया कि उच्च शिक्षा स्तर पर किताबों की बिक्री में हालांकि बहुत ज्यादा खराब असर नहीं पड़ा है।
पहले के मुकाबले बिक्री कम हो रही है। प्रेसीडेंसी के बगल में बुक स्टोर पर काम करने वाले बिहार के मूल निवासी मुन्ना साव ने बताया कि महामारी ने कारोबार को काफी नुकसान पहुंचाया है।
30 से अधिक संस्थानों के विद्यार्थी आते हैं खरीदारी को
जहां पर्यटक ट्रैवल गाइड खरीदने के लिए आते हैं वहीं प्रेसीडेंसी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी, संस्कृत विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, हिंदू स्कूल जैसे 30 से अधिक स्कूलों-कॉलेजों, प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थी यहां अपनी किताबों की खरीदारी को आते हैं।
जहां पर्यटक ट्रैवल गाइड खरीदने के लिए आते हैं वहीं प्रेसीडेंसी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी, संस्कृत विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, हिंदू स्कूल जैसे 30 से अधिक स्कूलों-कॉलेजों, प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थी यहां अपनी किताबों की खरीदारी को आते हैं।
बोईपाड़ा के नाम से लोकप्रिय कॉलेज स्ट्रीट दुर्लभ पुस्तकों का संसार है। यहां छोटे-बड़े बुक स्टोर से लेकर सड़क किनारे किताबें बेचने वाले भी हैं। गिल्ड की अपील का पड़ा था असर
पिछले 50 साल से अधिक वर्षों से किताबें बेच रहे सुरेन बानिक ने कहा कि पिछले साल अम्फान से हुए नुकसान के बाद पब्लिसर्स एंड बुक सेलर्स गिल्ड ने आर्थिक मदद के साथ बाजार को बचाने के लिए लोगों से सहयोग की अपील भी की थी जिसका काफी असर हुआ।
पिछले 50 साल से अधिक वर्षों से किताबें बेच रहे सुरेन बानिक ने कहा कि पिछले साल अम्फान से हुए नुकसान के बाद पब्लिसर्स एंड बुक सेलर्स गिल्ड ने आर्थिक मदद के साथ बाजार को बचाने के लिए लोगों से सहयोग की अपील भी की थी जिसका काफी असर हुआ।
पुस्तक बाजार के लिए कई कमेटियां बनी जबकि दीप प्रकाशन के प्रमुख व पश्चिम बंगाल पब्लिशर्स एसोसिएशन के महासचिव शंकर मंडल ने कहा था कि वे खुद की भरपाई के लिए इस फंड से एक पैसा नहीं लेंगे।