उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह अकेले इस मुद्दे के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगी। उल्लेखनीय है कि सीएए और एनआरसी को लेकर उत्तर बंगाल के लोग विशेष रूप से आतंकित हैं। उत्तर बंग उत्सव के मौके पर उपस्थित भीड़ को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए और एनआरसी से चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। पश्चिम बंगाल सरकार और खुद वह इस मुद्दे पर जनता के साथ है। कोई आपके अधिकारों का हनन नहीं कर सकता। बंगाल की धरती हम सबकी है, बाहर से आकर कौन क्या बोल रहा है? इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
ममता ने इस दिन अपने वक्तव्य में भाजपा का नाम नहीं लिया। गत लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल में भाजपा को मिली जीत के प्रसंग पर ममता ने कहा कि वह केवल चुनाव के वक्त यहां की जनता का पहरेदार बनकर नहीं आतीं, वह 365 दिन के पहरेदार हैं। आम जनता के खिलाफ कभी कोई काम किसी को करने नहीं देंगी।
एनपीआर के प्रसंग पर ममता ने कहा कि पहले उन्हें लगा कि यह सेंसस है, पर इसके कागजात देखने पर पता चला कि इसमें माता-पिता का नाम, जन्म स्थान, उसका प्रमाण और प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। जो वह खुद नहीं दिखा पाएंगी। ममता ने कहा कि सीएए और एनआरसी का विरोध करने वाले राज्य एनपीआर की बैठक में हाजिर हुए। लेकिन वह नहीं गईं।