अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने राज्य सरकार की समस्त योजनाओं को भ्रष्टाचारमुक्त रखने का निर्णय लिया है। इसके लिए पार्टी के स्थानीय नेतृत्व के अलावा सरकारी अधिकारी भी निगरानी के दायरे में होंगे। प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि योजनाओं को लागू कराने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर अंकुश लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है। इस संदर्भ में तृणमूल कांग्रेस के महासचिव तथा शिक्षा मंत्री डॉ. पार्थ चटर्जी ने बताया कि राज्य सरकार राजनीतिक सोच से परे रहकर जनहित में योजना बनाती है। इसे ईमानदारी पूर्वक लागू करने की जिम्मेवारी हमसब की है।
राज्य सरकार और जनता के बीच तीसरा कोई नहीं होगा। इधर, निकाय चुनाव को देखते हुए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) की टीम राज्य सरकार के विभिन्न योजनाओं का राज्य की जनता को कितना लाभ पहुंचा? इस बारे में तथ्य संग्रह कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि पीके ने स्वयं तृणमूल नेतृत्व को सुझाव दिया है कि अगले चुनाव में सीएए और एनआरसी से तृणमूल कांग्रेस को मदद मिलेगी तथा राज्य सरकार की विभिन्न योजनाएं पार्टी को बढ़त दिलाने में कारगर साबित होगी। यही कारण है कि तृणमूल नेतृत्व ने सरकार की योजनाओं के लागू होने के मुद्दे पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि पार्टी सुप्रीमो तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गत सप्ताह बांकुड़ा, पूर्व और पश्चिम बर्दवान जिले की प्रशासनिक समीक्षा बैठक में स्पष्ट कहा था कि राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के पीछे करोड़ों रुपए खर्च करेगी और उसका लाभ यदि जनता को नहीं मिले तो लोग हमें किसी भी सूरत में नहीं बख्शेंगे। अतीत में पार्टी नेताओं और जनप्रतिनिधियों पर सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के चयन में भाई-भतीजावाद तथा रिश्वत लेने जैसे आरोप लग चुके हैं।