पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल के मुद्दे पर वाममोर्चा में शामिल घटक दलों भाकपा, फारवर्ड ब्लॉक और आरएसपी के साथ माकपा नेतृत्व की सहमित नहीं बन पाई है। इन दलों ने 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ तालमेल करने से कितना लाभ हुआ? इस पर सवाल खड़ा किया है। वाममोर्चा राज्य कमेटी की सोमवार को हुई बैठक में इन दलों ने चेयरमैन विमान बोस से जानना चाहा कि कांग्रेस के साथ जाने का परिणाम मोर्चा के पक्ष में कितना कारगर रहा। 2011 के चुनाव में तृणमूल से हारने के बावजूद वाममोर्चा को विधानसभा में प्रमुख विपक्ष का दर्जा मिला था पर 2016 में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडऩे का नतीजा यह निकला कि मोर्चा को राज्य में तीसरे स्थान पर आना पड़ा। फारवर्ड ब्लॉक और आरएसपी के सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के शासनकाल तक हम माकपा की दादागीरी सहते रहे और अब पार्टी पिछले 8 साल से सत्ता से बाहर है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दोनों पार्टियां अपने-अपने जनाधार वाले इलाकों को बचाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। माकपा अपने घटक दलों के लिए 10 सीटें छोडऩे की सोच रही है। कांग्रेस के साथ समझौता होने पर मोर्चा के घटक दलों के लिए इतनी सीटें छोडऩा आसान नहीं होगा। सूत्रों ने बताया कि माकपा राज्य नेतृत्व मोर्चा के घटक भाकपा, आरएसपी और फारवर्ड ब्लॉक के साथ गुरुवार को एक बार फिर बैठक करेगा।