डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि बगैर एसी पीपीई पहनना आसान नहीं। इसे पहनने के बाद अंदर गर्मी बढऩे लगती है। पसीना, खुजली के साथ कई दफा घबराहट तक होने लगती है। एक बार किट पहनने पर खाना-पीना तो दूर वॉशरूम भी नहीं जा सकते। अस्पतालों में लगातार सेवाएं दे रहे डॉक्टरों को बचाव के लिए पीपीई किट पहनना मजबूरी है। 8 घंटे तक पीपीई किट पहनकर सेवाएं देने वाले चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टॉफ डिहाइड्रेशन, सिरदर्द, हार्ट बीट बढऩे, जलन जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे। ऐसे में टीपीई किट ज्यादा कारगर है। पीपीई किट पहनने में 20 से 25 मिनट लगते हैं। कोरोना योद्धा इसका उपयोग कर रहे हैं। इसे पहन कर बाहर धूप में 1 घंटा भी कोई काम नही कर सकता। पीपीई किट से कोलकाता में बहुत ऐसे मामले सामने आए हैं। 30 से 35 डॉक्टर प्रभावित हुए। अन्य राज्यों में भी कई केस सामने आए हैं। डॉ. अग्रवाल का कहना है कि पीपीई किट करीब 500 रुपए का पड़ता है। इसका इस्तेमाल एक बार ही हो सकता है, जबकि टीपीई किट की कीमत अधिकतम 100 रुपए है। इसे साफ कर पुन: इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि पीपीई किट में ऐसा नहीं है। टीपीई किट आज हर किसी को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बेहद जरूरी है। कोरोना संक्रमण के 3 सेंटर (नाक, हाथ व मुंह) अहम हैं, जहां से वायरस शरीर में प्रवेश करता है, जिसे टीपीई रोक सकता है। यह किट मध्यम वर्ग व गरीबों के लिए भी है और बरसात के दरम्यान भी उपयोग आसान है। यह हर तरह के वायरस के शरीर में ट्रांसमिशन को रोकने में सक्षम है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि वे अब तक कोलकाता में करीब 6 हजार टीपीई किट वितरित कर चुके हैं और क्रम जारी है। वे कोलकाता में लालबाजार पुलिस मुख्यालय, ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मुरलीधर शर्मा, एसीपी डिटेक्टिव महादेव चक्रवर्ती, सभी थानों, बड़तल्ला, जोड़ाबागान समेत करीब 57 से ज्यादा थानों के साथ स्वास्थ्य भवन में भी टीपीई दे चुके हैं। ये नान-विवेन से बना हुआ और पतला होता है, जो अमूमन 25 से 30 जीएसएम का होता है। पीपीई किट 70 से 80 जीएसएम का होता है। टीपीई किट निर्माण के लिए कोई इजाजत की जरूरत नहीं। इसे स्थानीय स्तर पर बनाया जा रहा है। टीपीई किट वितरति करते हुए हमें 3 महीने हो गए हैं। इससे अब तक एक भी आदमी संक्रमित नहीं हुआ है।