कोरोना से बचाव के चलते लोगों ने कम कर दिया घरों से बाहर निकलना, लेकिन हो गया स्वास्थ्य को गंभीर खतरा, कोविड-19 संक्रमण काल में लॉकडाउन, वर्क फ्रॉम होम से बढ़ी हड्डियों की समस्या
CORONA EFFECT-कोविड-19 का कहर: लॉक डाउन ने कम कर दी लोगों में विटामिन-डी की कमी
WEST BENGAL NEWS-कोलकाता . वैश्विक महामारी कोरोना वायरस नोवेल कोविड-19 के कहर से शायद ही कोई क्षेत्र बच पाया है। पर्व-त्योहारों, सामाजिक, धार्मिक आयोजनों पर ग्रहण लगाने के साथ अब इसके संक्रमण रोकने के लिए लागू लॉक डाउन ने लोगों में विटामिन-डी की कमी ला दी है। कोरोना से खुद को बचाव के चलते लोगों ने घरों से बाहर निकलना कम कर दिया लेकिन इससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। शरीर में सूर्य की रोशनी पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचने से विटामिन डी की कमी का सामना करना पड़ रहा। कोविड-19 संक्रमण काल में लॉकडाउन व वर्क फ्रॉम होम से हड्डियों की समस्या बढ़ गई। लॉकडाउन में लगातार घर पर रहने से कूल्हे, कमर, रीढ़ व गर्दन की हड्डी पर बहुत खराब असर पड़ा है। वर्क फ्रॉम होम से हड्डियों और मांसपेशियों की सक्रियता में कमी आई।आरामदायक लाइफ स्टाइल ने खतरा बढ़ा दिया है। हड्डियों में कमजोरी, मांसपेशियों कमर में दर्द, लगातार थकावट, काम की अनिच्छा लक्षण वाले मरीजों की संख्या में तेजी आई है। लॉक डाउन के दरम्यान लगातार 5 महीने घरों में रहने के कारण सूर्य की किरण नहीं मिली। इससे विटामिन डी की कमी हुई और नतीजा हड्डियां कमजोर हुई, मोटापा बढ़ा, डायबिटिज और जोड़ों का दर्द बढ़ा। एक स्टडी के मुताबिक विटामिन डी से वायरल इन्फेक्शन और कोविड-19 के सिम्पट्म्स एमेलीओरेट और साइटोकाइन स्ट्रोम का खतरा कम होता है। यूरोप के 20 देशों में विटामिन-डी पर हुई स्टडी में पता चला कि जिन देशों के लोगों में विटामिन-डी का लेवल कम था उनमें कोरोना केस ज्यादा मिले। स्पेन, इटली और स्विट्जरलैंड के लोगों में विटामिन-डी स्तर काफी कम रहा और वहीं ज्यादा जानें गई। विटामिन-डी सप्लीमेंट कोरोना वायरस जैसी सांस संबंधी बीमारी के प्रतिरोध में अहम भूमिका निभाता है। कोलकाता सहित पूरे पश्चिम बंगाल में मिनी राजस्थान के नाम से मशहूर बड़ाबाजार के विशुद्धानन्द अस्पताल के डॉक्टर भरत कुमार गुप्ता का कहना है कि लॉक डाउन के दौरान अधिकांश समय लोग अपने घरों में ही कैद रहे। जिससे उन्हें न बाहर की खुली हवा मिली और न धूप। इससे काफी लोगों में विटामिन-डी की कमी देखने को मिल रही है।
कोलकाता में 6 कोरोना संक्रमित मरीजों को डॉ. गुप्ता दे रहे विटामिन डी विटामिन-डी की कमी के शिकार मरीजों में सबसे अधिक संख्या महिलाओं की है। गुप्ता के अनुसार मानव देह को अन्य विटामिन के साथ विटामिन-डी भी आवश्यकता होती है। जो लॉक डाउन के समय में लोगों को नहीं मिल पाई। उनके अनुसार पूरी दुनिया में विटामिन-डी की कमी आम समस्या है जबकि भारत में ये 80-90 प्रतिशत है। गुप्ता के अधीन वर्तमान में 6 कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज विशुद्धानन्द अस्पताल में चल रहा है जिन्हें वे आवश्यकता अनुसार विटामिन डी की दवा देते हैं। गुप्ता विगत वर्षों से विशुद्धानन्द अस्पताल के अलावा अन्य कई जगहों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। बड़ाबाजार के एक अन्य चिकित्सक अशोक कुमार सिंह के अनुसार लॉक डाउन के दौरान शुगर, हाई ब्लड प्रेशर आदि के मरीजों में काफी बढ़ोतरी हुई। लोगों का चलना फिरना नहीं हुआ जिससे मोटापा, मधुमेह की शिकायत सामने आई। उनके पास कई ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें सूर्य की किरणें उचित मात्रा में न मिल पाने के कारण विटामिन-डी की कमी हो गई। और जिसका सीधा असर शरीर के दूसरे अंगों पर भी पड़ा है।विटामिन-डी को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश की प्रतिक्रिया में शरीर से उत्पन्न किया जाता है। यह एक घुलनशील विटामिन के समूह में है जो हमारी वसा कोशिकाओं में संचित रहता है। और लगातार कैल्शियम के मेटाबोलिज्म और हड्डियों के निर्माण में उपयोगी होता है। शरीर में कैल्शियम-फॉस्फेट के अवशोषण को बढ़ाता है। इम्यून सिस्टम में इसका अहम रोल है इसलिए अच्छी और मजबूत इम्यूनिटी के लिए इसका सेवन जरूरी है। दालें, अंड़े, मछली-मटन, दूध और अनाज विटामिन-डी के अच्छे स्त्रोत हैं। विटामिन-डी प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो वायरस और कीटाणुओं के खिलाफ शरीर में सबसे पहले बचाव करती है। इस विटामिन में एंटी-इंफ्लामेटरी और इम्यूनोरेगूलेटरी गुण हैं जो इम्यून सिस्टम के लिए बेहद जरूरी हैं। विटामिन-डी इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है और सांस संबंधी इंफेक्शन से बचाता है।