WEST BENGAL–अब कानों में नहीं फंसानी पड़ेगी मास्क की डोर
पूर्व बर्दवान जिले के मेमारी 12वीं छात्रा दिगंतिका ने बनाया उपकरण, केंद्रीय विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की ओर से दिगंतिका को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम युनाइटेड माइंड चिल्ड्रेन क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया
WEST BENGAL–अब कानों में नहीं फंसानी पड़ेगी मास्क की डोर
BENGAL NEWS-कोलकाता। कोविड-19 काल में मास्क पहनकर बाहर निकलना अनिवार्य हो गया है। मास्क की डोर कानों में फंसी रहने के कारण देर तक मास्क पहनने पर कुछ लोग कानों में दर्द की शिकायत कर रहे। पूर्व बर्दवान जिले के मेमारी की स्कूल छात्रा दिगंतिका बसु ने इस समस्या का समाधान कर एक उपकरण तैयार किया है। जिससे मास्क के कारण कानों में दर्द की समस्या से मुक्ति मिलेगी। दिगंतिका के इस आविष्कार को केंद्र सरकार ने मान्यता प्रदान की है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की ओर से दिगंतिका को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम युनाइटेड माइंड चिल्ड्रेन क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। इस पुरस्कार के लिए इस साल 22 राज्यों से बड़ी संख्या में नामांकन पड़े थे। इस साल ९ लोगों का इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया।
—कानों के पीछे दर्द की शिकायत के मद्देनजर बनाया मास्क मेमारी डीएम इंस्टिट्यूशन यूनिट-2 में 12वीं की छात्रा दिगंतिका ने बताया कि कोरोना महामारी के इस दौर में सभी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है। विशेषकर स्वास्थ्य कर्मियों व पुलिसकर्मियों को लंबे समय तक मास्क पहनकर ड्यूटी करनी पड़ती है। लगातार इतनी देर तक मास्क पहनने के कारण कुछ लोग कानों के पीछे दर्द की शिकायत कर रहे हैं। इसी को देखते हुए यह उपकरण तैयार किया। दिगंतिका ने बेकार की प्लास्टिक से यह उपकरण तैयार किया है। जिसे मास्क पहनते वक्त सिर के पीछे लगाया जाता है। मास्क की दोनों तरफ की डोर इसमें फंस जाती है। इससे कानों पर किसी तरह का दबाव नहीं पड़ता। दिगंतिका इससे पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीत चुकी है।
Home / Kolkata / WEST BENGAL–अब कानों में नहीं फंसानी पड़ेगी मास्क की डोर