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WEST BENGAL COVID EFFECT–महामारी की मार बड़ाबाज़ार की धर्मशालाएं हो गई बेकार

locationकोलकाताPublished: Jun 23, 2021 05:23:37 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

लॉकडॉउन से नहीं हुए सामाजिक आयोजन, कथा, कीर्तन वर्चुअल, बुकिंग कैंसिल, आमदनी पर आफतपत्रिका पड़ताल

WEST BENGAL COVID EFFECT--महामारी की मार बड़ाबाज़ार की धर्मशालाएं हो गई बेकार

WEST BENGAL COVID EFFECT–महामारी की मार बड़ाबाज़ार की धर्मशालाएं हो गई बेकार

BENGAL COVID EFFECT-कोलकाता (शिशिर शरण राही). कोरोना का कहर हर क्षेत्र और व्यवसाय पर पड़ा है। कोलकाता के मिनी राजस्थान के नाम से मशहूर बड़ाबाजार स्थित धर्मशालाओं पर भी महामारी की जोरदार मार पड़ी है। लॉकडॉउन के कारण धर्मशालाओं से जुड़े विविध सामाजिक आयोजन बंद हो गए हैं। जबकि धर्मशालाओं से जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। पत्रिका पड़ताल में यह कड़वी हकीकत सामने आई।
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रौनक गायब
बड़े-बड़े होटलों और बैंक्वेट हॉल के दौर में अपनी अलग पहचान रखने वाली बड़ाबाजार स्थित बरसों पुरानी सैकड़ों धर्मशालाओं की रौनक कोरोना काल में गुम हो गई है। धर्मशालाओं में राम कथा, भागवत, नानीबाई का मायरा, श्याम कीर्तन जैसे धार्मिक कार्यक्रम सहित यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, नामकरण जैसे मांगलिक कार्यों के अलावा शोक सभा, महाप्रसादी जैसे कार्यों भी विराम लग गया । कोविड के कारण कथा, कीर्तन जैसे धार्मिक आयोजन वर्चुअल होने लगे। कोविड के कारण बुकिंग कैंसिल हो गई है जिससे आमदनी पर गहरा असर पड़ा है।समाज के गरीब से गरीब आदमी को ठहरने के लिए छत मिल जाए और उचित दर पर आयोजन सम्पन्न कराने के लिए जगह मिल जाए इसी उद्देश्य से ये धर्मशालाएं बनाई गई थी। धर्मशालाएं से होने वाली कमाई अन्य सेवा प्रकल्पों में ही खर्च की जाती है।बडा बाजार मे हर जाति और सम्प्रदाय की धर्मशाला है। बड़ाबाजार स्थित 70-80 वर्ष पुरानी अग्रसेन स्मृति भवन के सचिव प्रभुदयाल कहते हैं कि अग्रवाल समाज भवन में सभागार, लाइब्रेरी, विभिन शिक्षा प्रकल्प के अलावा यात्रियों के रहने, आयोजनों के स्थान हैं। कोरोना काल में खर्चे जारी हैं पर आय ठप। सत्संग भवन के व्यवस्थापक अभय पांडे का कहना है कि कोरोना काल में बंधे बंधाए खर्चों को सुचारू चलाए रखना कठिन है। पिछले 15 महीनों से भवन की बुकिंग नहीं हुई। लोगों को सनातन धर्म से जोडऩे के उद्देश्य से भवन का निर्माण किया गया था। यहां सेवा प्रकल्प के तौर पर आचार्य महामंडलेश्वर कृष्णानंद की ओर से प्रेसिडेंट चेरिटेबल डिस्पेंसरी की स्थापना की गई थी। जिसमें निवर्तमान ट्रस्टी बनवारीलाल तिवारी, त्रिवेणी प्रसाद गुप्ता ने सहयोग किया था। होम्योपैथी डॉक्टरों की ओर से इलाज कर मरीजों को दवाएं निशुल्क दी जाती है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सामाजिक कार्यों के लिए काफी कम मूल्य पर निशुल्क जगह उपलब्ध कराई जाती है। ट्रस्टी मुकेश शर्मा के अनुसार बैंक्वेट हॉल के मुकाबले यहां किराया नगण्य है।
WEST BENGAL COVID EFFECT--महामारी की मार बड़ाबाज़ार की धर्मशालाएं हो गई बेकार
सैकडों हैं धर्मशालाएं
वृहत्तर बड़ाबाजार में दिगंबर जैन भवन, बडाबाजार मछुआ, मूंधड़ा धर्मशाला, बाबूलाल, श्यामदेव गोपीराम भोतीका, बिनानी भवन, ओसवाल भवन माहेश्वरी भवन, पारीक भवन, सप्तर्षि भवन, जैन भवन, लाला फूलचंद मुकीम, नवलकिशोर डागा, अग्रसेन स्मृति भवन आदि समेत सैकड़ों धर्मशालाएं हैं। ये मांगलिक, धार्मिक, सामाजिक कार्यों में रिजर्व रहती थी पर आज तस्वीर कुछ और है। इन धर्मशालाओं से जुड़े हजारों लोगों व उनके परिवार की रोजी-रोटी इसी पर आश्रित है।न केवल जैन, माहेश्वरी बल्कि ब्राह्मण समाज की भी धर्मशालाएं हैं। इनमें सप्तर्षि भवन (राजस्थान ब्राह्मण संघ), पारीक भवन, दाधीच भवन, परशुराम भवन, अहिल्यांगन आदि मुख्य हैं। 1953 में स्थापित सप्तर्षि भवन के सचिव महेंद्र पुरोहित के अनुसार कोविड समेत लॉकडाउन से फिलहाल हर तरह के आयोजन ठप हैं।
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