scriptwest bengal cutmoney controversy : शौचालय से श्मशान तक फैला कटमनी का काला कारोबार | west bengal cutmoney controversy: menace from toilets to ceremation | Patrika News

west bengal cutmoney controversy : शौचालय से श्मशान तक फैला कटमनी का काला कारोबार

locationकोलकाताPublished: Jul 14, 2019 10:44:15 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

west bengal के cutmoney विवाद का पूरा analysis मिलेगा इस report में ।

cut money controversy

west bengal cutmoney controversy : शौचालय से श्मशान तक फैला कटमनी का काला कारोबार

कोलकाता. West Bengal सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का फायदा दिलाने के नाम पर लाभार्थियों से पैसे वसूलने का काला धंधा यानि Cutmoney का जिन्न बाहर निकल आया है। पखवाड़े भर से पश्चिम बंगाल में रोज ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें जनप्रतिनिधियों ने रियाया से उनके विकास के एवज में अपनी जेब भरी है।
आलम यह यह है कि शौचालय से लेकर श्मशान घाट तक इस काले कारोबार की गूंज सुनाई दे रही है। पसीना बहाने वाले MNREGA के मजदूर से लेकर UJJAWALA रसोई गैस पर चाय बनाती गरीब महिला तक अपने अधिकार के लिए जनप्रतिनिधियों को चढ़ावा चढ़ा चुकी है।
सालों से चल रहा खेल
बीरभूम के मनरेगा मजदूर और दुर्गापूजा के समय कोलकाता आकर ढाक बजाने वाले मनोज बाउड़ी के मुताबिक कटमनी का खेल सालों से चला आ रहा है। ग्रामीण बंगाल में कोई भी विकास योजना बिना मु_ी गरम किए नहीं संचालित होती है। उनका और उनके मोहल्ले के ज्यादातर लोगों के जॉब कार्ड और पोस्ट ऑफिस का खाता स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि के पास है। मेहनत, मजदूरी हम करते हैं और पैसा निकालने पंचायत प्रतिनिधि जाता है। उसने ज्यादातर लोगों से पैसा निकालने वाला फार्म हस्ताक्षरित करा कर अथवा अंगूठा लगाकर रखवा लिया है। हमारी मजदूरी का पैसे में से वह कुछ हिस्सा अपने पास रखता है। बंगाल में राजनीतिक परिवर्तन की सुगबुगाहट के बाद इस काले कारोबार पर क्या प्रभाव पड़ा है यह पूछने पर बाउड़ी बताता है कि अब लोग अपने जॉब कार्ड मांग रहे हैं। हिसाब किताब कर रहे हैं। उनके पड़ोस के गांव में लोगों ने जनप्रतिनिधि का घेराव भी किया था। धुआं निकलना शुरू हो गया है। आग भडक़ रही है।
cut money controversy
30 प्रतिशत तक ले लेते हैं
अब बात करते हैं पूर्व मिदनापुर की। जहां सर्पदंश की घटनाओ ंसे होने वाली मौत को लेकर मुआवजे के बहुत से मामले सामने आते हैं वहां की स्थिति भी कटमनी को लेकर अलग नहीं है। महानगर कोलकाता में ऑटो गैरेज मैकेनिक गोपाल बेरा ने बताया कि उनके जीजा का देहांत सर्पदंश से हुआ था। बड़ी मुश्किल से दौड़भाग कर सारे कागजात जुटाए। लेकिर जब सहायता राशि आई तो पंचायत प्रतिनिधि ने कुल राशि का ३० प्रतिशत खुद रख लिया। विधवा विकलांग बहन को कुछ पैसे मिले। मेरे लिए इस पूरे सिस्टम से लड़ाई संभव नहीं थी। बार बार कलक्टरेट, बीडीओ कार्यालय का चक् कर नहीं काट सकता था। लालची जनप्रतिनिधियों ने आर्थिक सहायता दिलाई और अपना अघोषित हिस्सा ले लिया।
भ्रष्टाचार भी फैला
यह तो पिछड़े जिलों का हाल था। अब बात करें अपेक्षाकृत सम्पन्न ग्रामीण इलाकों वाले नदिया और उत्तर २४ परगना जिले की। यहां कटमनी का स्वरूप आंशिक रूप से बदल जाता है। नोहट्टा निवासी टोटन विश्वास के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों से दो से 10 हजार रुपए वसूलना जनप्रतिनिधियों के लिए सामान्य बात है। इसके अलावा मनरेगा के क्रियान्वयन में यहां सरकारी राशि को बड़े पैमाने पर खुर्द बुर्द किया जाता है। इसे ऐसे समझिए तालाब निर्माण के लिए एस्टीमेट बनाया 500 रोजगार का। काम पूरा कराया ३ सौ रोजगार से, बाकी के 2 सौ रोजगार की राशि जनप्रतिनिधि और जॉब कार्ड स्वामी ने बांट ली। इसमें जॉब कार्ड स्वामी को 10 से 20 प्रतिशत और बाकी राशि पंचायत प्रतिनिधि के पास गई। इस मॉडल पर नदिया और उत्तर 24 परगना के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर सरकारी राशि डकारी जा रही है। राज्य और केन्द्र सरकार यदि लोककल्याणकारी योजनाओं का ठीक से ऑडिट करे तो भ्रष्टाचार का पूरा नेटवर्क सामने आ जाएगा।
cut money controversy
जन्म से मृत्यु तक कटमनी
बच्चे के गर्भ में रहने पर जब मां अस्पताल जाती है और बेड के लिए अस्पताल में सत्ताधारी पार्टी से संबंधित दलाल पैसे मांगते हैं, वहां से कटमनी शुरू होती है और जब मौत होती है और शव श्मशान जाता है, अंतिम संस्कार होता है वहां पर भी कटमनी मांगते हैं। यानि जन्म से लेकर मृत्यु तक कटमनी ली जाती है। मु्ख्यमंत्री खुद ही ये बात मान चुकी हैं कि कटमनी लिया जा रहा है इसीलिए कटमनी को वापस करने की उन्होंने बात कही। कटमनी का लाभ मंत्री भी उठाते हैं।
लॉकेट चटर्जी, भाजपा सांसद
तृणमूल में हर किसी को लूट का हिस्सा –
तृणमूल कांग्रेस के सांसद और गायक कबीर सुमन ने कुछ साल पहले जबरन वसूली के खिलाफ बयान दिया तो तृणमूल सुप्रीमो ने कोई कदम नहीं उठाया। तृणमूल कांग्रेस में हर छोटे बड़े नेता की लूट में हिस्सेदारी है।
मो. सलीम, माकपा नेता
लेने वाले, देने वाले, दोनों दोषी, कानून करेगा काम
कटमनी लेने वाले व देने वाले दोनों ही दोषी हैं। सरकार दोनों के खिलाफ कानून के अंतर्गत कार्रवाई करेगी। जो लोग कटमनी लेने वालों पर हमले कर रहे हैं वे दोषी हैं। कानून हाथ में लेना अपराध है। लोग शिकायत पेटी में शिकायतें डाल सकते हैं। सरकार इस मसले पर चौकस है।
पार्थ चटर्जी, तृणमूल कांग्रेस महासचिव
क्या है अघोषित रेट चार्ट
उज्जवला एलपीजी कनेक्शन- लाभार्थी से 500 से 600 रुपये तक वसूली।
मनरेगा- ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लाभार्थियों से 20 से 40 रुपये प्रति कार्यदिवस के वसूलना। लाभार्थियों के अकाउंट में राशि आने के बाद वसूली जाती है।
प्रधानमंत्री आवास योजना- अपना घर बनाने के लिए 1.20 लाख से 1.35 लाख रुपये तक की सहायता उपलब्ध करवाने के लिए प्रत्येक लाभार्थी से 10-25 हजार रुपये तक वसूलना।
निर्मल बांग्ला (स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण)- शौचालय के लिए 12 हजार रुपये की सहायता देने के लिए कट मनी के तौर पर 900 से 2 हजार रुपये प्रत्येक लाभार्थी से लेना।
समव्यथी- अंतिम संस्कार के लिए राज्य सरकार की ओर से २ हजार रुपए की आर्थिक सहायता कराने वाली इस योजना के लिए भी 200 रुपए तक वसूलना।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो