— कलाकार की कल्पना पर आधारित थीम
बंगाल के शीर्ष मूर्तिकारों में से एक प्रदीप रूदपाल अपनी थीम भावना व कला के जरिए इसे साकार करने में जुटे हैं। इनकी बनाई दुर्गा प्रतिमाएं काफी लोकप्रिय व चर्चा में रही है। अबतक कई पंडाल को अपनी सोच से उन्होंने आकर्षक रूप दिया है। इस वर्ष तेलेंगा बागान सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी को पंडाल को इनकी कल्पना पर तैयार थीम पर बनाया जा रहा है। यहां आने वाले दर्शक मंडप में पुनर्जन्म की झलकियों से रूबरू होंगे।
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यह है उद्देश्य
थीम पुनर्जन्म को चुने जाने का प्रमुख मकसद आत्ममंथन करने और खुद को और हमारे आधुनिक समाज को बदलने के लिए एक प्रतीकात्मक आह्वान है। मौजूदा बदलते समाज में हम जैसे व्यक्ति सोशल मीडिया पर आश्रित होकर आए दिन फेक न्यूज, ट्रोलिंग, फिशिंग और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम के जरिए एक राक्षसी प्रवृत्ति में जकड़े जा रहे हैं, जो हमें लगातार तकनीकी रूप से अपने ऊपर आश्रित कर हमारे अंदर की प्रतिभा को बाहर निकालने में बाधक साबित हो रहे हैं।
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यह है संदेश
अपनी रचनात्मक प्रतिभा का उपयोग करते हुए कलाकार प्रदीप रूद्रपाल ने 40-फीट के मंडप सज्जा के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की है कि हमारा समाज सोशल मीडिया के रूप में तामसी शक्तियों के कारण सर्वव्यापी सामाजिक अस्वस्थता के घेरे में जकड़ा हुआ है। इन सब के बीच मां दुर्गा सात्विक बल के प्रतीक के रूप में ध्यान मुद्रा में बैठी हैं। मानव जाति को फिर से सोशल जगत से उद्धार कर पहले की तरह प्रतिभा साबित करने की शक्ति देकर स्वनिर्भर बनाए, इस बार पुनर्जन्म थीम के जरिए यही संदेश देने की कोशिश की गई है।
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तमसो मां ज्योतिर्गमयी
प्रदीप रूद्रपाल कहते हैं कि पुनर्जन्म के मूल में पुनर्जन्म का विषय तमसो मां ज्योतिर्गमयी है, अर्थात् अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना, अशुभ शक्ति से शुभ शक्ति की तरफ मनुष्य की आंतरिक चेतना को जगाना यही इस वर्ष मंडप का प्रमुख संदेश है। रूद्रपाल ने अपनी थीम व मूर्तियों के लिए कई शीर्ष पुरस्कार जीते, जिनमें 1994, 95, 98, 2001, 2003, 2008 में एशियन पेंट्स शारद सम्मान आदि शामिल हैं।
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इनका कहना है
प्रदीप रूद्रपाल जैसे कलाकार का आयोजन में शामिल होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। मां दुर्गा की ध्यान मुद्रा हमारे अंदर मौजूद आंतरिक आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। इस वर्ष पंडाल के अंदर संगीत, वैदिक मंत्रों और श्लोकों का उच्चारण होता रहेगा जिससे यहां आने वाले दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठेंगे।
सुबीर राय, उपाध्यक्ष, तेलेंगा बागान सार्वजनिक दुर्गोत्सव कमेटी
बंगाल के शीर्ष मूर्तिकारों में से एक प्रदीप रूदपाल अपनी थीम भावना व कला के जरिए इसे साकार करने में जुटे हैं। इनकी बनाई दुर्गा प्रतिमाएं काफी लोकप्रिय व चर्चा में रही है। अबतक कई पंडाल को अपनी सोच से उन्होंने आकर्षक रूप दिया है। इस वर्ष तेलेंगा बागान सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी को पंडाल को इनकी कल्पना पर तैयार थीम पर बनाया जा रहा है। यहां आने वाले दर्शक मंडप में पुनर्जन्म की झलकियों से रूबरू होंगे।
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यह है उद्देश्य
थीम पुनर्जन्म को चुने जाने का प्रमुख मकसद आत्ममंथन करने और खुद को और हमारे आधुनिक समाज को बदलने के लिए एक प्रतीकात्मक आह्वान है। मौजूदा बदलते समाज में हम जैसे व्यक्ति सोशल मीडिया पर आश्रित होकर आए दिन फेक न्यूज, ट्रोलिंग, फिशिंग और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम के जरिए एक राक्षसी प्रवृत्ति में जकड़े जा रहे हैं, जो हमें लगातार तकनीकी रूप से अपने ऊपर आश्रित कर हमारे अंदर की प्रतिभा को बाहर निकालने में बाधक साबित हो रहे हैं।
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यह है संदेश
अपनी रचनात्मक प्रतिभा का उपयोग करते हुए कलाकार प्रदीप रूद्रपाल ने 40-फीट के मंडप सज्जा के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की है कि हमारा समाज सोशल मीडिया के रूप में तामसी शक्तियों के कारण सर्वव्यापी सामाजिक अस्वस्थता के घेरे में जकड़ा हुआ है। इन सब के बीच मां दुर्गा सात्विक बल के प्रतीक के रूप में ध्यान मुद्रा में बैठी हैं। मानव जाति को फिर से सोशल जगत से उद्धार कर पहले की तरह प्रतिभा साबित करने की शक्ति देकर स्वनिर्भर बनाए, इस बार पुनर्जन्म थीम के जरिए यही संदेश देने की कोशिश की गई है।
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तमसो मां ज्योतिर्गमयी
प्रदीप रूद्रपाल कहते हैं कि पुनर्जन्म के मूल में पुनर्जन्म का विषय तमसो मां ज्योतिर्गमयी है, अर्थात् अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना, अशुभ शक्ति से शुभ शक्ति की तरफ मनुष्य की आंतरिक चेतना को जगाना यही इस वर्ष मंडप का प्रमुख संदेश है। रूद्रपाल ने अपनी थीम व मूर्तियों के लिए कई शीर्ष पुरस्कार जीते, जिनमें 1994, 95, 98, 2001, 2003, 2008 में एशियन पेंट्स शारद सम्मान आदि शामिल हैं।
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इनका कहना है
प्रदीप रूद्रपाल जैसे कलाकार का आयोजन में शामिल होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। मां दुर्गा की ध्यान मुद्रा हमारे अंदर मौजूद आंतरिक आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। इस वर्ष पंडाल के अंदर संगीत, वैदिक मंत्रों और श्लोकों का उच्चारण होता रहेगा जिससे यहां आने वाले दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठेंगे।
सुबीर राय, उपाध्यक्ष, तेलेंगा बागान सार्वजनिक दुर्गोत्सव कमेटी