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राज्यपाल ने तृणमूल नेताओं पर किया बड़ा हमला

locationकोलकाताPublished: Feb 08, 2018 05:53:50 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

Gआईना में अपना चेहरा देखें तृणमूल नेता- राज्यपाल त्रिपाठी, राज्यपाल जा रहे अपनी सीमा से बाहर – तृणमूल नेता

kolkata west bengal
तृणमूल सांसद मिले राजनाथ सिंह से, की राज्यपाल की शिकायत
– राज्यपाल की ओर से मालदह में प्रशासनिक बैठक बुलाने को लेकर मचा है बवाल
कोलकाता. मालदह में प्रशासनिक बैठक बुलाने को लेकर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और तृणमूल कांग्रेस में घमासान तेज हो गया है। दो दिन से हो रही आलोचना पर चुप्पी तोड़ते हुए राज्यपाल ने गुरुवार को कहा कि तृणमूल नेता पहले आईना में अपना चेहरा देखें। त्रिपाठी ने तृणमूल नेताओं से कहा कि वे राज्यपाल के कार्यालय पर कीचड़ उछालने से बाज आएं। दूसरी ओर तृणमूल सांसदों ने इस दिन संसद के दोनों सदनों में राज्यपाल का मु²ा उठाया तथा राज्यपाल पर अपनी सीमा से बाहर जाकर काम करने का आरोप लगाया।
तृणमूल नेताओं की ओर से की जा रही आलोचना पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर राज्यपाल ने संवाददाताओं को बताया कि वे वाशरूम में जाना चाहिए। आईना में अपना चेहरा देखना चाहिए तथा अपने चेहरे पर से धूल हटाना चाहिए। उन्हें राज्यपाल कार्यालय पर कीचड़ उछालने से बाज आना चाहिए। उधर नई दिल्ली में तृणमूल के ३० सांसदों ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की तथा राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के बारे में शिकायत की। सांसदों ने कहा कि त्रिपाठी राज्य के प्रशासनिक मामले में सीधा हस्तक्षेप कर रहे हैं। पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि प्रतिनिधि दल ने गृह मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। गृह मंत्री ने इस मामले में विचार करने का वादा किया।
विस में उठा
इससे पहले राज्य के शिक्षा व संसदीय कार्य मंत्री डॉ. पार्थ चटर्जी ने कहा था कि राज्यपाल ने अपने पद को कलंकित किया है। शिक्षा मंत्री डॉ. चटर्जी ने बुधवार को विधानसभा में उल्लेखकाल में इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने राज्यपाल त्रिपाठी पर अपनी संवैधानिक क्षमता से आगे जाकर काम करने का आरोप लगाया है।
राज्य प्रशासन की अनदेखी का आरोप
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि राज्य प्रशासन की उपेक्षा कर राज्यपाल ने मालदह जिले के शीर्ष अधिकारी को पत्र लिखा है। यह संविधान विरोधी है, जिसकी हम निन्दा करते हैं। पार्थ ने कहा कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते वे राज्यपाल का सम्मान करते हैं, पर राज्य प्रशासन को ताक पर रखकर जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी को पत्र लिखना, कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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