दासगुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार आलू बीज के उत्पादन के मामले में स्वनिर्भर होने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल में सालाना 4 लाख टन आलू बीज की खपत है। इसके लिए राज्य के किसानों को पंजाब समेत दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता था। किसानों को आलू का प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग ने टिशू कल्चर अपनाया है। राज्य के 5 जिलों में आलू की विभिन्न प्रजातियों की खेती करने के लिए जमीन की पहचान की जा चुकी है। आलू के अगले सीजन में कृषि विभाग ज्योति और चंद्रमुखी आलू के अलावा दूसरी प्रजाति का आलू की खेती को बढ़ावा देगा। इसके लिए किसानों में जागरूकता फैलाई जाएगी।