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Social change initiative: रेड लाईट एरिया के बच्चों की जिन्दगी बदलने की लड़ाई लड़ती यह युवती

locationकोलकाताPublished: Oct 03, 2019 09:04:54 pm

Submitted by:

Manoj Singh

एक 32 साल की युवती Sex Worker’s Children को यौवनचार, शारीरिक और मानसिक उत्पीडऩ व अत्याचार से आत्मरक्षा के लिए तैयार करने का अभियान चला रही हैं। वह ऐसे बच्चों के लिए एक स्कूल चलाती हैं, जिसमें आम शिक्षा देने से अधिक वह बच्चों का mental Change कर रही हैं। उनमें बदनाम अंधी गलियों से निकल कर आसमान में पंख फैला कर उड़ने का Passion, hope and self confidence जगा रही है

Social change initiative: रेड लाईट के बच्चों की जिन्दगी बदलने की लड़ाई लड़ती यह युवती

Social change initiative: समाज सेवी टुम्पा अधिकारी

यौवनाचार और उत्पीडऩ से बचने के लिए मानसिक रुप से बच्चों को बना रही है सबल
आत्मरक्षा के लिए बनाया स्वालंबी नेटवर्क
कोलकाता
कहा जाता है कि रेड लाइट एरिया जैसी काली कोठरी वन वे होता है। वहां लड़कियों के जाने के रास्ते हैं पर वहां ले लौटने के नहीं। लेकिन एक युवती यौवन कर्मियों के बच्चों को इस बदनाम दुनिया से निकाल कर मुख्यधारा में लाने की लड़ाई लड़ रही है। वह अपने ही समाज के भीतर और बाहर के शत्रुओं से लड़ने के लिए बच्चों को मानसिक रुप से तैयार कर रही हैं और उन्हें संगठित कर रही हैं।
कोलकाता के मशहूर कालीघाट के काली मंदिर से कुछ ही दूरी पर कालीघाट रेड लाइट इलाका है। गैर सरकारी संगठन दीक्षा के बैनर तले 32 साल की टुम्पा अधिकारी वहां के यौवन कर्मियों के बच्चों को यौवनचार, शारीरिक और मानसिक उत्पीडऩ व अत्याचार से बचाने का अभियान चला रही हैं।
इस क्रम में वह ऐसे बच्चों के लिए कालीघाट रेड लाइट इलाके के बड़ोगली में एक स्कूल चलाती हैं। उस स्कूल में आम शिक्षा देने से अधिक वह बच्चों का मानसिक बदलाव करने और उन्हें आत्मरक्षा करने के लिए तैयार कर रही हैं। वह उन्हें कालीघाट इलाके की बदनाम अंधी गलियों से निकल कर आसमान में पंख फैला कर उड़ने का जज्बा, उम्मीद और आत्मविश्वास जगा रही है और उन्हें संगठित कर उनका स्वालंबी नेटवर्क तैयार कर रही हैं।
सब से बड़ी बात यह है कि 20 साल पहले कालीघाट के रेड लाइट इलाके से निकल कर मुख्यधारा में आने और अपनी सुरक्षा के लिए टुम्पा अधिकारी दीक्षा से जुड़ी थी और अब वे पिछले एक दशक से इस बदनाम दुनिया के दूसरे बच्चों को सुरक्षा दे रही हैं।
वह कहती हैं कि रेड लाइट की दुनिया से खुद की रक्षा के लिए वह वर्ष 1999 में दीक्षा संस्था से जुड़ी थी, जिसकी स्थापना पारमिता बनर्जी ने की है। अब वह इस संस्था की संस्थापक सदस्यों में शुमार हो गई है और अब वह यौवन कर्मियों के दूसरे बच्चों को सुरक्षा देने का काम कर रही हैं। अपने स्कूल में वह यौवन कर्मियों के बच्चों को साधारण शिक्षा के अलावा उन्हें आत्मरक्षा करने के लिए मानसिक रुप से तैयार करती हैं।
महिलाओं को सशक्तिकरण करने की दिशा में काम करने वाले कोलकाता का कुचिना फाउंडेशन इस काम में टुम्पा को आर्थिक रुप से सहायता करता है। पाउंडेशन ने उन्हें अपने कुचिना कृतिका की सूची में शामिल कर रखा है। टुम्पा बताती हैं कि कुचिना फाउंडेशन उनके स्कूल के बच्चों को कपड़े देता है और कहीं-कही घूमाने के लिए ले जाता है।
आत्मरक्षा के लिए बनाया नेटवर्क
टुम्पा अधिकारी ने यौवन कर्मियों के बच्चों को आत्मरक्षा करने के लिए मानसिक रुप से मजबूत करने के साथ ही उन्हें संगठित कर तीन स्तरीय नेटवर्क तैयार की है। एक नेटवर्क बच्चों का है, जिनके लड़कियों के साथ लडक़े भी सदस्य है। और दूसरा नेटवर्क कालीघाट के रेट लाइट की महिलाओं का बनाया है। बच्चों के नेटवर्क के लिए दो समूह बनाए गए हैं।
जुनियर समूह में छह से 11 साल के बच्चों को शामिल किया गया है और दूसरे समूह में 11 से 18 साल के बच्चे शामिल हैं। इनकी संख्या 50 है। टुम्पा अधिकारी बताती हैं कि सिर्फ लड़कियां अकेले अपनी रक्षा नहीं कर सकती है। इस लिए बच्चों के नेटवर्क में लडक़ों को भी शामिल किया गया है और इनकी सुरक्षा पर नजर रखने के लिए नेटर्क में 15 महिलाओं के एक दल को शामिल किया गया है।

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