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WEST BENGAL–कोलकाता मेट्रो रेलवे के 37वें स्थापना दिवस पर विदा हुआ नॉन एसी रेक

locationकोलकाताPublished: Oct 24, 2021 11:55:23 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

महानगर में अब केवल एसी मेट्रो चलेगी, 24 अक्टूबर 1984 को देश में पहली अंडरग्राउंड मेट्रो कोलकाता में हुई थी शुरू

WEST BENGAL--कोलकाता मेट्रो रेलवे के 37वें स्थापना दिवस पर विदा हुआ नॉन एसी रेक

WEST BENGAL–कोलकाता मेट्रो रेलवे के 37वें स्थापना दिवस पर विदा हुआ नॉन एसी रेक

KOLKATA METRO-कोलकाता। महानगर की लाइफलाइन कोलकाता मेट्रो रेलवे के 37वें स्थापना दिवस पर रविवार को गीता पाठ के साथ नॉन एसी रेक को विदा किया गया। हिन्दुस्तान में केवल कोलकाता ही एकमात्र ऐसा महानगर हैजहां सबसे पहले 24 अक्टूबर 1984 को देश में पहली अंडरग्राउंड मेट्रो शुरू हुई। तब से लेकर शनिवार तक नान एसी मेट्रो रेक सेवा जारी थी। कुछ साल पहले ही एसी रेक आई इसके बाद कोलकाता मेट्रो में नान एसी और एसी दोनों से सेवा जा रही थी। मेट्रो रेलवे के 37वें स्थापना दिवस पर रविवार को गीता पाठ के साथ नान एसी रेक को विदाई दी गई। अब कोलकाता में केवल एसी मेट्रो ही चलेगी। मेट्रो रेलवे ने महानायक उत्तम कुमार स्टेशन पर रविवार को अपने 37वें स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया। मेट्रो रेलवे महाप्रबंधक मनोज जोशी ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों और अधिकारियों की कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ मेट्रो रेलवे ने सभी कोविडप्रोटोकॉल पालन कर इन चुनौतीपूर्ण वर्षों के दौरान सफलतापूर्वक सुचारू सेवाएं प्रदान की। कोविड समय में भी सभी चल रही मेट्रो परियोजनाएं बेरोकटोक जारी रहीं और महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कुछ महीनों में सियालदह मेट्रो स्टेशन और साल्टलेक सेक्टर 5 से हावड़ा मैदान तक ईस्ट-वेस्ट मेट्रो एक साल के भीतर चालू हो जाएगी। तीन अन्य मेट्रो परियोजनाओं का पहला चरण अगले 2 वर्षों में पूरा हो जाएगा। बाद में जोशी ने नॉन-एसी मेट्रो रेक (रेक नंबर – एन 12/14) के अंदर मेट्रो रेलवे के अतीत, वर्तमान और भविष्य पर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इसमें देश की पहली मेट्रो के गौरवशाली अतीत, वर्तमान परिदृश्य और इसके भविष्य की परियोजनाओं को रंगीन और दुर्लभ पोस्टरों की मदद से चित्रित किया गया है।शाम को महाप्रबंधक ने औपचारिक रूप से इस रेक को नोआपारा कैश्ड के लिए रवाना किया।
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मेट्रो का लगातार स्वरूप बदला
24 अक्टूबर, 1984 के बाद मेट्रो का लगातार स्वरूप बदला। गर्मी में
लोग नान एसी में चढऩे से परहेज कर रहे थे और एसी मेट्रो का इंतजार करते थे। आखिरकार वह दिन रविवार को खत्म हो गया। 24 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कोलकाता में अंडरग्राउंड मेट्रो की शुरुआत की थी उसके बाद मेट्रो सेवा ने कई बार रंग बदला है। कभी आसमानी रंग, कभी पीला-लाल रंग तो कभी सफेद-काले रंग की मेट्रो लोगों को आकर्षित करती रही।सियालदह मेट्रो स्टेशन जमीन से 18.5 मीटर नीचे है। सियालदह स्टेशन के एक तरफ फूलबगान दूसरी तरफ एस्प्लानेड मेट्रो स्टेशन है। मेट्रो अधिकारियों के अनुसार सियालदह स्टेशन महत्वपूर्ण होने जा रहा है। जंक्शन के रूप में उपनगर के विभिन्न हिस्सों से लोग अपने गंतव्य के लिए मेट्रो पकडऩे के लिए यहां आएंगे। सियालदह मेट्रो स्टेशन में प्रवेश और निकास के लिए कई छोरों पर ९ सीढय़िां हैं।कोलकाता मेट्रो यात्रियों की सुविधा के लिए 18 एस्केलेटर, 26 टिकट काउंटर हैं। दिव्यांगों के लिए विशेष टिकट काउंटर और लिफ्ट हैं। मेट्रो स्टेशन में 3 प्लेटफॉर्म हैं। प्लेटफार्मों में से एक को एक द्वीप मंच के रूप में रखा जाएगा।अधिक भीड़ में तीसरे मंच का उपयोग किया जाएगा।
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पहली मेट्रो के यात्रियों ने अनुभव साझा किए
पहली मेट्रो के यात्रियों गौतम सेनगुप्ता, पीके दासगुप्ता, शांतनु बनर्जी ने सवारी के अपने अनुभव साझा किए। पहले मेट्रो मोटरमैन संजय सिल, तपन नाथ ने भी अनुभव साझा किए। स्टेशन मास्टर मैदान बिमलेंदु रॉय, स्टेशन मास्टर एस्प्लानेड एके सतपति, देशबंधु चित्तरंजन दास के भतीजेसीईई/आरएस रंजन प्रसाद ने अनकही कहानियां सुनाईं।…

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