scriptममता बनर्जी की कितनी पकड़ है बंगाल के शहरों में बताएंगे निकाय चुनाव | West Bengal Municipal election: litmus test for Mamata in urban Bengal | Patrika News

ममता बनर्जी की कितनी पकड़ है बंगाल के शहरों में बताएंगे निकाय चुनाव

locationकोलकाताPublished: Oct 20, 2019 06:01:06 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

पश्चिम बंगाल (West Bengal ) के मिनी विधानसभा कहे जा रहे 100 से ज्यादा स्थानीय निकायों के चुनाव वर्ष 2020 में हो सकते हैं। इनमें कोलकाता (Kolkata) , हावड़ा (Howrah), सिलीगुड़ी (Siliguri) नगर निगम भी शामिल हैं। वर्ष 2021 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले निकायों के चुनाव से यह संकेत जरूर मिलेगा कि बंगाल की सत्ता पर कौन काबिज होने वाला है।

ममता बनर्जी की कितनी पकड़ है बंगाल के शहरों में बताएंगे निकाय चुनाव

ममता बनर्जी की कितनी पकड़ है बंगाल के शहरों में बताएंगे निकाय चुनाव

कोलकाता. लोकसभा चुनाव में जोर का झटका खाने के बाद संभलने का प्रयास कर रहीं ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए वर्ष 2020 के निकाय चुनाव लिटमस टेस्ट होंगे। कोलकाता, सिलीगुड़ी, हावड़ा जैसे बड़े नगर निगमों के साथ ही कुल 107 निकायों में संभावित चुुनाव के नतीजे तय करेंगे कि राज्य में अगली सत्ता किस राजनीतिक दल के पास आएगी। इन निकाय इलाकों में राज्य की शहरी आबादी और कुल जनसंख्या के 40 फीसदी लोग रहते हैं। वर्ष 2021 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव के नतीजे से यह तय हो जाएगा कि जनता जर्नादन किसे आर्शाीवाद देने वाली है। इससे पूर्व वर्ष 2015 में हुए निकाय चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने आशातीत सफलता हासिल की थी। उस वर्ष 91 निकायों में हुए चुनाव में से 69 निकायों पर जीत हासिल की थी। कोलकाता नगर निगम पर भी कब्जा जमाया था। वहीं वाममोर्चा और कांग्रेस ने पांच-पांच निकायों पर जीत हासिल की थी। 12 निकायों पर उस समय किसी भी राजनीतिक दल या मोर्चे को बहुमत नहीं मिला था। वर्ष 2015 के निकाय चुनाव में सभी निकायों को मिलाकर कुल 2090 वार्डों में से 1425 पर तृणमूल कांग्रेस, 285 पर वाममोर्चा, 186 पर कांग्रेस और 85 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
गत पांच सालों में राज्य के राजनीतिक हालात तेजी से बदले हैं। राज्य में भाजपा ने गत लोकसभा चुनाव में आशातीत सफलता हासिल की है। उसका वोट प्रतिशत 40 तक जा पहुंचा है। लोकसभा की 42 मे ंसे 18 सीटों पर उसके प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। कई सीटों पर जीत हार का अंतर सामान्य रहा है। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े नेता भाजपा में आ चुके हैं। कई समय का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा ने अपने संगठन में भी विस्तार कर लिया है। वहीं हाशिए पर जा रहे वाममोर्चा और कांग्रेस के फिर से खड़े होने के प्रयासों को अब तक बड़ी सफलता मिलती नहीं दिख रही है। उत्तर और दक्षिण बंगाल के कई निकायों पर लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने पार्षदों के पाला बदलने से कब्जा कर लिया था। जिनमें से कुछ फिर से तृणमूल कांग्रेस के पास चले गए हैं।
राजनीतिक दलों ने शुरू की तैयारी
निकाय चुनाव की आहट होते ही राजनीतिक दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने े बूथ स्तर पर पार्टी का नेटवर्क सक्रिय करने का काम शुरू कर दिया है। उसने वार्ड स्तर पर भाजपा के प्रसार से निपटने की रणनीति बनानी भी शुरू कर दी है। संभावित प्रत्याशियों को लेकर निकाय स्तर पर चर्चा का दौर भी शुरू हो गया है।
भाजपा भी बूथ स्तर के सांगठनिक चुनाव पूरे कर अब अंचल या शक्ति केन्द्र के चुनाव निपटाने में लगी हुई है। माकपा भी सांगठनिक फेरबदल के दौर से गुजर रही है।
हालांकि अभी यह तय नहीं है कि राज्य में निकाय चुनाव कब होंगे। न तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने और न ही किसी जिम्मेदार तृणमूल नेता ने निकाय चुनाव को लेकर कोई घोषणा की है।
टल भी सकते हैं चुनाव
राज्य के 91 निकायों का कार्यकाल मई 2020 में खत्म हो रहा है। लेकिन कार्यकाल खत्म हो चुके हावड़ा नगर निगम समेत एक दर्जन से ज्यादा निकायों का प्रशासकों की ओर से संचालन साबित करता है कि राज्य सरकार चाहे तो निकाय चुनाव टाल भी सकती है।
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