
WEST BENGAL-‘द ग्रेट एस्केप’ --जब अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंक कार से फरार हुए थे नेताजी
BENGAL NEWS OF NETAJI SUBHASH CHANDRA BOSE-कोलकाता (शिशिर शरण ‘राही’)। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस से संबधित गणतंत्र दिवस समारोह की झांकी पर गहराते विवाद के बीच उनसे जुड़ी एक से बढकर एक हैरतअंगेज घटनाएं कोलकाता से जुड़ी हैं। नेताजी से जुड़ी कई घटनाएं ऐसी है जो आज भी रहस्य है और जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इसमें कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित नेताजी भवन में वह कार आज भी देश की धरोहर के रूप में मौजूद है। इसी कार में सवार होकर वे नजरबंदी के दौरान अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंककर फरार हुए थे। इतिहास में यह घटना ‘द ग्रेट एस्केप’ नाम से मशहूर है। इसके अलावा कोलकाता के विधान सरणी स्थित एक ऐसी भी दुकान है जहां तेले भाजा के शौकीन नेताजी अक्सर मूड़ी-पकौड़े का लुत्फ उठाने आया करते थे। एल्गिन रोड स्थित नेताजी भवन से वे वेश बदलकर फरार हुए थे। फिलहाल नेताजी के इस पैतृक घर में अब नेताजी रिसर्च ब्यूरो है। भवन के बाहर सैनिक कमाण्डर के वेश में नेताजी का होर्डिंग लगा है। अंग्रेजों की नजरबन्दी से निकलने के लिए 16 जनवरी 1941 को वे अफगानी पठान मोहम्मद जियाउद्दीन के वेश में घर से निकले। 18 जनवरी 1941 को अपनी बेबी अस्टिन कार बीएलए/7169 से गोमो पहुंचे थे। इसकी पुष्टि ‘आमी सुभाष बोलछी’ (मैं सुभाष बोल रहा हूं) नामक किताब ने की है। 18 जनवरी 1941 को पुराना कंबल ओढ़ कर वे गोमो रेलवे स्टेशन पहुंचे। नेताजी रिसर्च ब्यूरो और रेलवे के सहयोग से इस महानिष्क्रमण दिवस की याद ताजा रखने के लिए झारखंड के गोमो स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 1/2 के बीच उनकी प्रतिमा लगाई गई। 2 जुलाई 1940 को हॉलवेल मूवमेंट के कारण नेताजी को जब गिरफ्तार किया गया तब तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जॉन ब्रिन ने उन्हें प्रेसिडेंसी जेल भेज दिया था। बाद में उन्होंने आमरण अनशन किया। इस पर उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई। गिरते स्वास्थ्य के मद्देनजर अंग्रेजी हुकूमत ने 5 दिसम्बर 1940 को उन्हें इस शर्त पर रिहा किया कि तबीयत ठीक होते ही उन्हें फिर गिरफ्तार किया जा सकता है। यहां से रिहा होने के बाद वे एल्गिन रोड स्थित अपने आवास चले गए। नेताजी के केस की सुनवाई 27 जनवरी 1941 को थी पर ब्रिटिश हुकूमत को 26 जनवरी को पता चला कि नेताजी कोलकाता में हैं ही नहीं तो उनके होश उड़ गए। उन्हें खोजने के लिए अलर्ट मैसेज जारी किया गया, लेकिन तब तक वे वेश बदलकर निकल गए। नेताजी के फरार होने की 76वीं वर्षगांठ पर इस कार को कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित नेताजी रिसर्च ब्यूरो के 60वें स्थापना दिवस पर रीस्टोर कर प्रदर्शित किया गया था। आज संग्रहालय में रखी यह कार देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। हर साल नेताजी जयंती पर काफी तादाद में लोग यहां आकर कार के साथ सेल्फी लेते हैं।
तेले भाजा के शौकीन थे नेताजी
कोलकाता में एक दुकान ऐसी भी है जो तत्कालीन फिरंगी हुकूमत के दौरान क्रांतिकारियों के लिए सूचना सेंटर था। यहां हर साल नेताजी की जयंती पर 23 जनवरी को उनके सम्मान में निशुल्क तेले भाजा (पकौड़ा) का वितरण 1942 से लगातार किया जा रहा। 1918 में स्थापित 158 विधान सरणी स्थित लक्ष्मी नारायण साव एंड सन्स के वर्तमान मालिक केस्टो कुमार गुप्ता ने पत्रिका के साथ खास भेंट में यह खुलासा किया। आजादी के आंदोलन की गवाह इस दुकान की अनगिनत यादें नेताजी से जुड़ी हैं। तेले भाजा के शौकीन नेताजी इस दुकान में अक्सर मूड़ी-पकौड़े का लुत्फ उठाने आते थे। मूल रूप से बिहार के गया निवासी गुप्ता ने बताया कि उनके दादाजी खेदू साव (स्वत्रतंता सेनानी) ने इस दुकान की स्थापना की थी। यहीं से स्वदेशी आंदोलन के दौरान क्रांतिकारियों को तेले भाजा की सप्लाई की जाती थी। उनके दादाजी के निधन के बाद उनके पिता लक्खी नारायण साव ने इस परंपरा को बरकरार रखा और 2000 में पिता के निधन के बाद अब वे इसे संचालित कर रहे हैं। यहां सूचनाओं का आदान-प्रदान होता था। 1942 से ही खेदू साव टोकरी में तेले भाजा भरकर आजादी के दीवानों को दिया करते थे।
Published on:
22 Jan 2022 01:14 pm
बड़ी खबरें
View Allकोलकाता
पश्चिम बंगाल
ट्रेंडिंग
