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WEST BENGAL–दुनिया के पहले सिविल इंजीनियर की जयंती पर दुल्हन की तरह सजे वाहन

locationकोलकाताPublished: Sep 18, 2021 05:41:11 am

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

महानगर में उमंग-उत्साह से मनाई देवशिल्पी विश्वकर्मा जयंती, वर्कशॉप में मशीनों की पूजा, हवन, भजन-कीर्तन, टैक्सी ड्राइवरों ने की सामूहिक पूजा, पत्रिका ग्राउंड रपट

WEST BENGAL--दुनिया के पहले सिविल इंजीनियर की जयंती पर दुल्हन की तरह सजे वाहन

WEST BENGAL–दुनिया के पहले सिविल इंजीनियर की जयंती पर दुल्हन की तरह सजे वाहन

BENGAL NEWS-कोलकाता। दुनिया के पहले सिविल इंजीनियर माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती कोविड संक्रमण काल में शुक्रवार को महानगर समेत आसपास के स्थानों में उमंग-उत्साह से मनाई गई। देवशिल्पी विश्वकर्मा का पूजन-अर्चन कर भजन-कीर्तन हुआ। महानगर में अनेक फैक्ट्रियों, वर्कशॉप में मशीनों की पूजा के साथ हवन हुआ। रोडवेज वर्कशॉप, लोहे की दुकानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, टैक्सी स्टैंड आदि स्थानों में विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाई गई। जयंती से पहले गुरुवार देर रात तक एमजी रोड से लेकर अम्हस्र्ट स्ट्रीट समेत कई स्थानों पर बसों, टैक्सी, ऑटो चालक वाहनों की साफ-सफाई में जुटे रहे। एक ओर जहां महानगर के अनेक फैक्ट्रियों, वर्कशॉप में मशीनों की पूजा की गई। वहीं बसों से लेकर बाइक, टैक्सियों, टेम्पो समेत तमाम वाहनों को फूलों से किसी नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया। आम दिनों की तुलना में विभिन्न वर्कशॉप में साफ-सफाई, धुलाई के लिए गाडिय़ों की संख्या में भी इजाफा हुआ। सियालदह, एमजी रोड, सूर्यसेन स्ट्रीट, कॉलेज स्क्वायर, राजाबाजार, सेंट्रल एवेन्यू फायर स्टेशन से लेकर चितपुर, बड़ाबाजार, ताराचंद दत्त स्ट्रीट समेत अनेक स्थानों पर जयंती मनाई गई। बांगड़ बिल्डिंग टैक्सी स्टैंड, चितपुर मोड़ में टैक्सी ड्राइवरों ने सामूहिक रूप से पूजा की। यहां पिछले २८ साल से पूजा में भाग लेते आ रहे अशोक महतो ने कहा कि कोरोना के कारण पिछले साल जयंती नहीं मनाई जा सकी थी। हालांकि संक्रमण अभी भी बरकरार है इसके बावजूद कोविड प्रोटोकाल का पालन कर पूजा में सभी ने शिरकत की। रवि अरोड़ा, वीके मिश्रा, श्यामसुंदर पांडे, सुरेंद्र सिंह अलबेला, राजकुमार गुप्ता आदि ने विश्वकर्मा पूजा में भाग लिया।
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मजहबी एकता की पेश की मिसाल
इस कोरोना काल में जहां मानवीय रिश्ते तार-तार हुए हैं वहीं महानगर में विश्वकर्मा पूजा ने मजहबी एकता की मिसाल भी पेश की। ताराचंद दत्त स्ट्रीट में ताराचंद टेम्पो एसोसिएशन की ओर से शुक्रवार को मनाई गई विश्वकर्मा जयंती ने इसे साबित किया। एसोसिएशन के सचिव ए. खान के सान्निध्य में पिछले ४० साल से यहां विश्वकर्मा पूजा का आयोजन बगैर किसी मजहबी भेदभाव के होता आ रहा। एसोसिएशन से जुड़े मिराज खान ने पत्रिका से इस संबंध में खास बात की। उन्होंने कहा कि आजतक कभी भी विश्वकर्मा पूजा को लेकर धर्म-संप्रदाय दीवार नहीं बनी। यहां हर मजहब के लोग हर्षोल्लास से इसमें शिरकत करते हैं। पिछले साल कोविड के चलते जयंती नहीं मनाई गई थी। इस साल हर्षोल्लास से हमलोगों ने जयंती में श्रिकत की।

WEST BENGAL--दुनिया के पहले सिविल इंजीनियर की जयंती पर दुल्हन की तरह सजे वाहन
इसलिए है खास महत्व
मान्यताओं के अनुसार हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है और यह हर वर्ष 17 सितंबर को ही होती है।धार्मिक मान्यता अनुसार ब्रह्मा ने संसार की रचना की और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा। इसलिए विश्वकर्मा को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है। विश्वकर्मा ब्रह्माजी के पुत्र वास्तु की संतान थे। रावण की लंका, कृष्ण की द्वारका, पांडवों का इंद्रप्रस्थ, इंद्र का वज्र, भोलेनाथ कात्रिशूल, विष्णु के सुदर्शन चक्र, यमराज के कालदंड का निर्माण उन्होंने ही किया। कहा जाता है कि इस दिन विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति होती है। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग हर साल विश्वकर्मा जयंती पर अपने औजारों और अस्त्रों की पूजा करते हैं। कलयुग का संबंध कलपुर्जों से माना जाता है। आज के युग में कलपुर्जे का प्रयोग हर शख्स कर रहा है। लैपटॉप, मोबाइल और टैबलेट भी एक प्रकार की मशीन हैं और इनके बिना आज के युग में रह पाना बहुत मुश्किल है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा शुभफलदायी मानी जाती है।………….

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