मजहबी एकता की पेश की मिसाल
इस कोरोना काल में जहां मानवीय रिश्ते तार-तार हुए हैं वहीं महानगर में विश्वकर्मा पूजा ने मजहबी एकता की मिसाल भी पेश की। ताराचंद दत्त स्ट्रीट में ताराचंद टेम्पो एसोसिएशन की ओर से शुक्रवार को मनाई गई विश्वकर्मा जयंती ने इसे साबित किया। एसोसिएशन के सचिव ए. खान के सान्निध्य में पिछले ४० साल से यहां विश्वकर्मा पूजा का आयोजन बगैर किसी मजहबी भेदभाव के होता आ रहा। एसोसिएशन से जुड़े मिराज खान ने पत्रिका से इस संबंध में खास बात की। उन्होंने कहा कि आजतक कभी भी विश्वकर्मा पूजा को लेकर धर्म-संप्रदाय दीवार नहीं बनी। यहां हर मजहब के लोग हर्षोल्लास से इसमें शिरकत करते हैं। पिछले साल कोविड के चलते जयंती नहीं मनाई गई थी। इस साल हर्षोल्लास से हमलोगों ने जयंती में श्रिकत की।
इस कोरोना काल में जहां मानवीय रिश्ते तार-तार हुए हैं वहीं महानगर में विश्वकर्मा पूजा ने मजहबी एकता की मिसाल भी पेश की। ताराचंद दत्त स्ट्रीट में ताराचंद टेम्पो एसोसिएशन की ओर से शुक्रवार को मनाई गई विश्वकर्मा जयंती ने इसे साबित किया। एसोसिएशन के सचिव ए. खान के सान्निध्य में पिछले ४० साल से यहां विश्वकर्मा पूजा का आयोजन बगैर किसी मजहबी भेदभाव के होता आ रहा। एसोसिएशन से जुड़े मिराज खान ने पत्रिका से इस संबंध में खास बात की। उन्होंने कहा कि आजतक कभी भी विश्वकर्मा पूजा को लेकर धर्म-संप्रदाय दीवार नहीं बनी। यहां हर मजहब के लोग हर्षोल्लास से इसमें शिरकत करते हैं। पिछले साल कोविड के चलते जयंती नहीं मनाई गई थी। इस साल हर्षोल्लास से हमलोगों ने जयंती में श्रिकत की।
इसलिए है खास महत्व
मान्यताओं के अनुसार हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है और यह हर वर्ष 17 सितंबर को ही होती है।धार्मिक मान्यता अनुसार ब्रह्मा ने संसार की रचना की और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा। इसलिए विश्वकर्मा को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है। विश्वकर्मा ब्रह्माजी के पुत्र वास्तु की संतान थे। रावण की लंका, कृष्ण की द्वारका, पांडवों का इंद्रप्रस्थ, इंद्र का वज्र, भोलेनाथ कात्रिशूल, विष्णु के सुदर्शन चक्र, यमराज के कालदंड का निर्माण उन्होंने ही किया। कहा जाता है कि इस दिन विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति होती है। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग हर साल विश्वकर्मा जयंती पर अपने औजारों और अस्त्रों की पूजा करते हैं। कलयुग का संबंध कलपुर्जों से माना जाता है। आज के युग में कलपुर्जे का प्रयोग हर शख्स कर रहा है। लैपटॉप, मोबाइल और टैबलेट भी एक प्रकार की मशीन हैं और इनके बिना आज के युग में रह पाना बहुत मुश्किल है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा शुभफलदायी मानी जाती है।………….
मान्यताओं के अनुसार हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है और यह हर वर्ष 17 सितंबर को ही होती है।धार्मिक मान्यता अनुसार ब्रह्मा ने संसार की रचना की और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा। इसलिए विश्वकर्मा को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है। विश्वकर्मा ब्रह्माजी के पुत्र वास्तु की संतान थे। रावण की लंका, कृष्ण की द्वारका, पांडवों का इंद्रप्रस्थ, इंद्र का वज्र, भोलेनाथ कात्रिशूल, विष्णु के सुदर्शन चक्र, यमराज के कालदंड का निर्माण उन्होंने ही किया। कहा जाता है कि इस दिन विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति होती है। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग हर साल विश्वकर्मा जयंती पर अपने औजारों और अस्त्रों की पूजा करते हैं। कलयुग का संबंध कलपुर्जों से माना जाता है। आज के युग में कलपुर्जे का प्रयोग हर शख्स कर रहा है। लैपटॉप, मोबाइल और टैबलेट भी एक प्रकार की मशीन हैं और इनके बिना आज के युग में रह पाना बहुत मुश्किल है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा शुभफलदायी मानी जाती है।………….