ज्योतिष में सभी 27 नक्षत्रों में से पुष्य नक्षत्र को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पुष्य सभी अरिष्टों या संकटों का नाश करता हैइसलिए शुभ काम करने के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। इस मुहूर्त में किए गए काम अन्य शुभ मुहूर्तों की तुलना में कई गुना ज्यादा फल देते हैं।बृहस्पति देव और प्रभुराम भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे। मान्यता है कि इस नक्षत्र में जन्मे लोग महान काम करते हैं और स्वभाव से बेहद दयालु, धार्मिक, धनी और कई कलाओं को जानने वाले होते हैं। वहीं पुष्य नक्षत्र में जन्मी लड़कियां अपने खानदान का नाम रोशन करती हैं।ऐसी लड़कियां बेहद सौभाग्यशाली, दयालु, धार्मिक, साहसी और बुद्धिमान होती हैं।बड़ाबाजार निवासी प्रवासी राजस्थानी ज्योतिष प्रभाकर डॉ राकेश व्यास ने बुधवार को बताया कि ज्योतिषशास्त्र गणनाओं के अनुसार, इस बार दिवाली से पहले खरीदारी के लिए महामुहूर्त गुरु पुष्य नक्षत्र, शनि-गुरु की युति में आ रहे हैं। जो एक दुर्लभ संयोग है। पंचांग के मुताबिक 28 अक्टूबर को मकर राशि में शनि-गुरु की युति रहेगी। यह युति पुष्य नक्षत्र की शुभता को और अधिक बल प्रदान करने वाली होती है। 28 अक्टूबर सुबह 6.33 से 9.42 तक सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। ऐसे में इस दौरान खरीददारी करना अति उत्तम होगा। ज्योतिष शास्त्र अनुसार ग्रह गोचर में पुष्य नक्षत्र के स्वामी और उपस्वामी की यह युति लगभग 60 साल बाद बन रही है। इससे पहले साल 1961 में ये दुर्लभ संयोग बना था।