नियमानुसार लोकल ट्रेन के एक डिब्बे में करीब 100 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था रहती है। आफिस समय में आने-जाने के दौरान एक डिब्बे में लगभग 300-400 यात्री सफर करते हैं। इसलिए सरकारी आदेशानुसार इसकी पालना न तो रेलवे न राज्य सरकार के बस में है। उत्तर-पश्चिम रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य प्रवासी राजस्थानी अनिल कुमार खटेड ने शनिवार को यह बात कही। खटेड ने कहा कि कोलकाता में बसों में ही जब इस सरकारी नियम का पालन नहीं हो रहा तो फिर लोकल ट्रेनों में किस कदर हो पाएगा ये समय ही बताएगा। वर्तमान में स्टाफ स्पेशल के नाम पर 60 फीसदी ही ट्रेनें चल रही थी। अब पूर्व, दक्षिण-पूर्व रेलवे की लोकल ट्रेन चलने से नौकरीपेशा, व्यापारी व अन्य वर्गों को इसका फायदा होगा। दूरदराज के जिलों से कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में नौकरी, अन्य काम-धंधे के लिए आने वाले दैनिक यात्रियों को राहत मिलेगी।नियमानुसार एक लोकल में 12कोच होते हैं। जहकि एक डिब्बे में यात्रियों के बैठने के लिए करीब 100 सीट होती है। इस हिसाब से एक लोकल में लगभग 1200 मुसाफिर सफर करेंगे। जो सरकारी नियमों के विपरीत होगा। पूर्व रेलवे में करीब 60 फीसदी स्टाफ स्पेशल ट्रेन चलती थी। जबकि दक्षिण-पूर्व रेलवे के तहक हावड़ा तक कोई भी स्टाफ स्पेशल नहीं आती थी।उधर रोजाना सफर करने वाले उधर विशाल जैन, मुकेश जैन समेत अन्य यात्रियों ने रविवार से लोकल ट्रेन सेवा शुरू करने की घोषणा का स्वागत किया। उनका कहना है कि अब बसों में धक्का-मुक्की से निजात मिलेगी। जबकि कमल पाटनी, नवरतन कोचर आदि ने कहा कि दिवाली व भगवान महावीर के निर्वाणोत्सव पर्व से पहले लोकल ट्रेन शुरू करने की घोषणा स्वागतयोग्य कदम है। इससे रोजाना कोलकाता, हावड़ा आने वाले यात्रियों को अब सुविधा होगी। उत्तरपाडा के अतुल खटेड़, मदन डोसी, राकेश नाहटा, छत्तर सिंह बैद,हिन्दमोटर के राजेंद्र खटेड आदि ने कहा कि अब कोलकाता आने-जाने वालों को इससे लाभ होगा।
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उधर पूर्व रेलवे के सीपीआरओ एकलव्य चक्रवर्ती ने कहा कि सियालदह डिवीजन में कोरोना से पहले 900 जबकि हावड़ा में 488 प्लस लोकल ट्रेन चलती थी। अब भी इनकी संख्या वही रहेगी। इसी तरह दक्षिण-पूर्व रेलवे के सीपीआरओ नीरज कुमार का कहना है कि कोरोना से पहले दक्षिण-पूर्व रेलवे के क्षेत्राधिकार में 191 लोकल ट्रेन चलती थी। अब रविवार से 48 चलेगी।…….————————–