मकर संक्रांति का त्यौहार मिठास और ऊर्जा का प्रतीक है। क्योंकि संक्रांति का पर्व घरों में ही मनाया जाता है इसलिए कोरोना काल में भी इस त्यौहार के मनाने में कोई अड़चन नही है।——सुमन व्यास, गृहणी, बड़ाबाजार
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भले ही परदेस में हो लेकिन रीति रिवाजों का निर्वहन करने में चूक नही होती। संक्रांति पर मरुभूमि की पारम्परिक मिठाई घेवर, फिनि खाने का आनंद ही अलग होता है।—मनीषा मूंधड़ा, गृहणी, हावड़ा.
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हमारे यहां मकर संक्रांति त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। सब अपने घरों में पूजा करते हैं इस दिन सूर्य देवता का पूजन किया जाता है। इस दिन रेवड़ी, गज्जक, तिल पापड़ी , गुड खाने की और बांटने की मान्यता है।—-कनिका मोहता.
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घर पर काला तिल,सफेद तिल, घेवर, फिनी, रेवडी बनाते हैं। इस दिन घर घर पर खिचड़ी व अन्य पकवान भी बनेंगे।पीले चावल खास तौर से बनाए जाते हैं। सबसे पहले इसका भोग सूर्यदेव को उसके बाद इसे लोग आपस में बांटते हैं।—–शोभा गोयनका.
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