—-मौसम पर त्यौहार भारी-
शुक्रवार को सुबह से ही छाई धुंध और सर्द मौसम के बावजूद बाजारों में रौनक रही। सक्रांति की खरीददारी के लिए निकले लोगों से बाजारों में दिनभर चहल पहल देखने को मिली। कलाकार स्ट्रीट, अफीम चौरस्ता आदि जगहों पर मिठाई दुकानों में घेवर, फिनि खरीदने लोगों की भीड़ उमड़ रही थी तो शिवतल्ला स्ट्रीट, हँसपोकरिया, मालापाड़ा आदि स्थानों में तिल, गुड़ पापड़ी, गजक, चिड़वा आदि से सजी अस्थाई दुकानों में भी अच्छी खरीददारी हुई। मालापाड़ा में एक फुटपाथ पर अस्थाई दुकानदार पंकज द्विवेदी ने बताया कि उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन दही चिड़वा खाने का प्रचलन है। इस दिन लोग भोजन में इसी का उपयोग करते है। त्यौहार के हिसाब से बिक्री ठीक ठाक है।
महंगाई को दिखाया ठेंगा- चार सौ से हजार रुपये तक बिका घेवर
शुक्रवार को सुबह से ही छाई धुंध और सर्द मौसम के बावजूद बाजारों में रौनक रही। सक्रांति की खरीददारी के लिए निकले लोगों से बाजारों में दिनभर चहल पहल देखने को मिली। कलाकार स्ट्रीट, अफीम चौरस्ता आदि जगहों पर मिठाई दुकानों में घेवर, फिनि खरीदने लोगों की भीड़ उमड़ रही थी तो शिवतल्ला स्ट्रीट, हँसपोकरिया, मालापाड़ा आदि स्थानों में तिल, गुड़ पापड़ी, गजक, चिड़वा आदि से सजी अस्थाई दुकानों में भी अच्छी खरीददारी हुई। मालापाड़ा में एक फुटपाथ पर अस्थाई दुकानदार पंकज द्विवेदी ने बताया कि उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन दही चिड़वा खाने का प्रचलन है। इस दिन लोग भोजन में इसी का उपयोग करते है। त्यौहार के हिसाब से बिक्री ठीक ठाक है।
महंगाई को दिखाया ठेंगा- चार सौ से हजार रुपये तक बिका घेवर
मकर संक्रांति पर राजस्थान की पारम्परिक मिठाई के रूप में खाया जाने वाला घेवर साढ़े तीन सौ से लेकर हजार रुपये किलो तक बिका। डालडा घी में बने घेवर जहां साढ़े तीन सौ रुपये में बिका वहीं देशी घी में बने घेवर का भाव हजार रुपये किलो तक रहा।