राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलना खेदजनक
सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गाड़ोदिया ने कहा कि यह खेदजनक है कि सतत् प्रयासों के बावजूद राजस्थानी भाषा को अब तक संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता नहीं मिली। उन्होंने स्वयं और अपने परिवार से प्रारम्भ कर हर स्तर पर राजस्थानी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने का आह्वान किया। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि राजस्थानी भाषा के प्रति समाज और सरकार का रवैया उदासीनता का रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए सम्मेलन लम्बे समय से प्रयासरत है ।
जैथलिया और शाह की भूमिका को सराहा
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदलाल रूंगटा ने राजस्थानी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग हेतु नारीशक्ति और युवाशक्ति को इस मुहिम से जोडऩे की सलाह दी। उन्होंने राजस्थानी भाषा की उन्नति के प्रयासों में जुगल किशोर जैथलिया और रतन शाह की भूमिका को सराहा। संचालन पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राजस्थानी प्रचारिणी सभा अध्यक्ष रतन शाह ने किया। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की पहचान उसकी भाषा है।
---भाषा संजोकर रखना दायित्व
न्यायमूति रमेश मेरठिया ने हर स्तर पर इस प्रकार की विचारगोष्ठियों तथा राजस्थानी साहित्य के विभिन्न विधाओं में प्रतियोगिताओं के आयोजन पर बल दिया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भानीराम सुरेका ने सहयोगी मारवाड़ी संस्थाओं को इस अभियान से जोडऩे की बात कही। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें बहुत अच्छी भाषा दी है जिसे संजोकर रखना और यथासम्भव बेहतर करके अपनी अगली पीढ़ी को देना हमारा नैतिक दायित्व है। शशि लाहोटी के कविता पाठ को सबने सराहा। पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री शिव कुमार लोहिया ने भाषा और संस्कृति को अन्योनाश्रय बताया। डॉ. सुभाष अग्रवाल, आत्माराम सोन्थलिया, नंदकिशोर अग्रवाल, राज कुमार केडिया आदि ने संक्षिप्त विचार रखे।धन्यवाद—ज्ञापन राष्ट्रीय महामंत्री संजय हरलालका ने किया।
----ये रहे मौजूद
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामअवतार पोद्दार, उपाध्यक्ष विजय लोहिया, संयुक्त महामंत्रीगोपाल अग्रवाल, सुदेश अग्रवाल, संगठन मंत्री बसन्त मित्तल, कोषाध्यक्ष दामोदर बिदावतका, पूर्व कोषाध्यक्ष कैलाशपति तोदी, प्रह्लाद राय गोयनका, रतनलाल अग्रवाल, पवन जालान, महेश जालान, नंदलाल सिंघानिया, अरुण मल्लावत, रतनलाल बंका, प्रेमलता खण्डेलवाल आदि।09:07 PM
सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गाड़ोदिया ने कहा कि यह खेदजनक है कि सतत् प्रयासों के बावजूद राजस्थानी भाषा को अब तक संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता नहीं मिली। उन्होंने स्वयं और अपने परिवार से प्रारम्भ कर हर स्तर पर राजस्थानी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने का आह्वान किया। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि राजस्थानी भाषा के प्रति समाज और सरकार का रवैया उदासीनता का रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए सम्मेलन लम्बे समय से प्रयासरत है ।
जैथलिया और शाह की भूमिका को सराहा
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदलाल रूंगटा ने राजस्थानी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग हेतु नारीशक्ति और युवाशक्ति को इस मुहिम से जोडऩे की सलाह दी। उन्होंने राजस्थानी भाषा की उन्नति के प्रयासों में जुगल किशोर जैथलिया और रतन शाह की भूमिका को सराहा। संचालन पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राजस्थानी प्रचारिणी सभा अध्यक्ष रतन शाह ने किया। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की पहचान उसकी भाषा है।
---भाषा संजोकर रखना दायित्व
न्यायमूति रमेश मेरठिया ने हर स्तर पर इस प्रकार की विचारगोष्ठियों तथा राजस्थानी साहित्य के विभिन्न विधाओं में प्रतियोगिताओं के आयोजन पर बल दिया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भानीराम सुरेका ने सहयोगी मारवाड़ी संस्थाओं को इस अभियान से जोडऩे की बात कही। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें बहुत अच्छी भाषा दी है जिसे संजोकर रखना और यथासम्भव बेहतर करके अपनी अगली पीढ़ी को देना हमारा नैतिक दायित्व है। शशि लाहोटी के कविता पाठ को सबने सराहा। पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री शिव कुमार लोहिया ने भाषा और संस्कृति को अन्योनाश्रय बताया। डॉ. सुभाष अग्रवाल, आत्माराम सोन्थलिया, नंदकिशोर अग्रवाल, राज कुमार केडिया आदि ने संक्षिप्त विचार रखे।धन्यवाद—ज्ञापन राष्ट्रीय महामंत्री संजय हरलालका ने किया।
----ये रहे मौजूद
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामअवतार पोद्दार, उपाध्यक्ष विजय लोहिया, संयुक्त महामंत्रीगोपाल अग्रवाल, सुदेश अग्रवाल, संगठन मंत्री बसन्त मित्तल, कोषाध्यक्ष दामोदर बिदावतका, पूर्व कोषाध्यक्ष कैलाशपति तोदी, प्रह्लाद राय गोयनका, रतनलाल अग्रवाल, पवन जालान, महेश जालान, नंदलाल सिंघानिया, अरुण मल्लावत, रतनलाल बंका, प्रेमलता खण्डेलवाल आदि।09:07 PM