बिना किसी पंचांग मुहूर्त हो सकेगी शादी
अक्षय तृतीया के अबूझ मुहूर्त पर सामूहिक विवाह सम्मेलन भी बीते दो साल में कोरोना के कारण अक्षय तृतीया पर कम शादियां हुई थीं। ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक भदानी ने गुरुवार को बताया कि इस दिन अबूझ मुहूर्त में बिना किसी पंचांग मुहूर्त के शादी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि अप्रैल में 21, 22, 23, 27, 28 को विवाह का मुहूर्त हैं। इस साल दिसंबर तक शादी के लिए 31 शुभ मुहूर्त हैं। 9 जुलाई के बाद शादी बंद हो जाएगी। अमूमन देवउठनी से शुरू होने वाली शादी इस बार नहीं हो सकेंगी। चार नवंबर को देवउठनी ग्यारस है। 23 नवंबर तक शादियां नहीं होंगी। 26 नवंबर से शादी शुरू होंगी।
अक्षय तृतीया के अबूझ मुहूर्त पर सामूहिक विवाह सम्मेलन भी बीते दो साल में कोरोना के कारण अक्षय तृतीया पर कम शादियां हुई थीं। ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक भदानी ने गुरुवार को बताया कि इस दिन अबूझ मुहूर्त में बिना किसी पंचांग मुहूर्त के शादी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि अप्रैल में 21, 22, 23, 27, 28 को विवाह का मुहूर्त हैं। इस साल दिसंबर तक शादी के लिए 31 शुभ मुहूर्त हैं। 9 जुलाई के बाद शादी बंद हो जाएगी। अमूमन देवउठनी से शुरू होने वाली शादी इस बार नहीं हो सकेंगी। चार नवंबर को देवउठनी ग्यारस है। 23 नवंबर तक शादियां नहीं होंगी। 26 नवंबर से शादी शुरू होंगी।
-----परशुराम का मूल नाम राम था परशुराम त्रेता युग (रामायण काल) में एक ब्राह्मण ऋषि के यहाँ जन्मे थे। जो विष्णु के उन्नीसवां अवतार हैं.पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार हैं। महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये।