कोलकाता

मौत को दे दी मात, आज संभाल रहा पिता का कारोबार

WEST BENGAL NEWS: DEFETAED FEATH N TODAY IS HELPING DAD BUSINESS—जन्मजात सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्त प्रियांश के दिल ने कभी 3 बार बंद कर दिया था काम, डॉकटरों ने कहा था, जीवित रहने की कोई उम्मीद नहीं, जन्म हुआ, तो रोया नहीं, प्रवासी राजस्थानी युवा से पत्रिका की खास बातचीत, कोलकाता के एनआईएलडी की बदौलत आज सकुशल

कोलकाताDec 03, 2019 / 02:59 pm

Shishir Sharan Rahi

मौत को दे दी मात, आज संभाल रहा पिता का कारोबार

कोलकाता (शिशिर शरण राही). जन्मजात सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्त जिस बालक के दिल ने 3 बार काम करना बंद कर दिया था और डॉक्टरों ने उसे एक तरह से डेड घोषित कर दिया था वह आज न केवल सकुशलपूर्वक अपने पिता का कारोबार बखूबी संभाल रहा बल्कि कम्प्यूटर पर काम भी कर रहा है। कोलकाता में निवासरत प्रवासी राजस्थानी कारोबारी विजय कुमार सनई और सुनीता सनई के पुत्र प्रियांश सनई (२०) ने हौसले के बल मौत को मात देकर जोश-जज्बा और जुनून की अनोखी मिसाल पेश की है। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार ०२ दिसंबर को राजस्थान पत्रिका से खास भेंट में प्रियांश ने जीवन के जद्दोजहद को साझा किया। कोलकाता के बीटी रोड स्थित राष्ट्रीय गतिशील दिव्यांगजन संस्थान (एनआईएलडी) के एसोसिएट प्रोफेसर और ओटी विभाग के विभागाध्यक्ष पंकज वाजपेयी का उसके सकुशल जीवन यापन करने में बहुत बड़ा हाथ है। यह बात प्रियांश की मां सुनीता ने सवालों के जवाब में पत्रिका से कही। उन्होंने कहा कि अहमादाबाद में जब 9 जनवरी, 1999 को उनके बेटे का जन्म हुआ, तो वह रोया नहीं था। जन्म के बाद 14 जनवरी 1999 को 3 बार उसके दिल ने धडक़ना बंद कर दिया था, जिससे उसके ब्लड का रंग नीला पड़ गया और एक तरह से डॉकटरों ने जवाब दे दिया कि उनके बेटे के जीवित रहने की कोई उम्मीद नहीं। हताश-निराश हो उन्होंने मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरू, कोयंबटूर सहित देश के तमाम बड़े शहरों में जाकर एक से एक बड़े डॉक्टरों के पास प्रियांश को दिखाया, पर कहीं भी कोई सुधार नहीं हुआ। आखिरकार उनके पति विजय के किसी परिचित ने उन्हें कोलकाता के एनएलआईडी के बारे में विस्तृत जानकारी देकर यहां इलाज कराने की सलाह दी। जिसके बाद २००१ में वे बेटे को लेकर एनएलआईडी में आई। सुनीता ने कहा कि आज अगर उनका बेटा सकुशल है तो इसका एकमात्र श्रेय एनआईएलडी के एसोसिएट प्रोफेसर और ओटी विभाग के हेड पंकज वाजपेयी को जाता है। जिन्होंने हर पल उसका साथ देते हुए मार्गदर्शन दिया। जन्म के समय से ही सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्त प्रियांश बैठने-चलने फिरने में असमर्थ था। राष्ट्रीय गतिशील दिव्यांगजन संस्थान में इलाज एवं पुनर्वासीय सुविधाओं की सेवा के बाद आज वह न सिर्फ आत्मनिर्भर है बल्कि कम्प्यूटर पर कार्य करने के साथ-साथ अपने पिता के व्यवसाय में सहयोग भी कर रहा है। वह अभी अपने पिता के व्यापार को संभालते हुए कम्प्यूटर पर कार्य करता है।
पहले पंजों के बल चलता था, आज खुद के पैर पर खड़ा
प्रियांश ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि वह ‘जुम्बा’ नामक डांस में सक्रिय भागीदारी के साथ म्यूजिक, लैपटॉप, कम्प्यूटर वगैरह-वगैरह बखूबी संभाल रहा है। उसने कहा कि आज उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं। वह आज जिम जाता है, डांस करता है और एक्सरसाइज भी। उसने कहा कि जहां वह पहले पंजों के बल चलता था वहीं
आज खुद के पैरों पर खड़ा है। आज उसका किसी भी तरह का कोई इलाज नहीं चल रहा है।
-पीहर अहमादाबाद, ससुराल राजस्थान
सुनीता ने बताया कि उनका पीहर अहमदाबाद है। उनके पति विजय कुमार सनई राजस्थान के कुचामन सिटी के मूल निवासी हैं। जन्म से ही कोलकाता में रह रहे विजय का आज साल्टलेक में अपना मकान है। ट्रांसपोर्ट का कारोबार है जिसमें उनका पुत्र ९० स्टॉफ की मदद से कारोबार संभाल रहा। सुनीता ने कहा कि उनकी 2 बेटियां हैं और दोनों जुड़वां, जिनकी शादी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पर बेटे की तरह कभी भी ऐसी समस्या परिवार में आजतक कभी नहीं आई।

Home / Kolkata / मौत को दे दी मात, आज संभाल रहा पिता का कारोबार

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.