इसके साथ आरोप लगने शुरु हो गए हैं कि गिरफ्तारी पर होने पर राजीव कुमार के मुंह खोलने पर अपनी सरकार पर आने वाले आफत रोकने के लिए ममता बनर्जी पीएम मोदी से मिलने गई हैं।
इस दिन नई दिल्ली रवाना होने से पहले ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी से होने वाली अपनी मुलाकात को नियमित और सौजन्यजनक करार देते हुए कहा कि केन्द्र और राज्य, दोनों चुनी हुई सरकारें है। देश के विकास के लिए दोनों सरकारों को मिल कर काम करना संवैधानिक बाध्यता है। इस लिए वे प्रधानमंत्री से मिलने जा रही हैं। दोनों की मुलाकात बुधवार दोपहर को होनी है।
मुलाकात के दौरान मोदी से वे बंगाल और केन्द्रीय सार्वजनिक संस्थानों से जुड़ी समस्याओं के बारे में बातचीत करेंगी। इसमें पश्चिम बंगाल का नाम परिवर्तन, विभिन्न योजनाओं के तहत केन्द्र से राज्य को मिलने वाले बकाए पैसे, एयर इंडिया, बीएसएनएल और कोलकाता से बैंकों के मुख्यालय हटाने के मुद्दे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों के कर्मी अपनी समस्याएं ले कर दिल्ली नहीं जा पाते है। वे अपनी समस्यएं हमारे पास आते हैं।
मोदी से मिलने ममता पर भाजपा-तृणमूल में छिड़ा जुबानी जंग
लेकिन भाजपा मोदी से ममता बनर्जी की मुलाकात को करोड़ों रुपए के सारधा चिटफंड घोटाले में लिप्त तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और राज्य के मंत्रियों को बचाने के लिए हताशा भरी अंतिम कोशिश करार दे रहे हैं। भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार के मुंह खोलने का नतीजा सारदा चिटफंड घोटाले में लिप्त अपने आधे से अधिक मंत्रियों के जेल जाने के बारे में ममता बनर्जी भलीभांति जानती हैं।
इस लिए वह राजीव कुमार को बचाने की हताश कोशिश कर रही हैं। इस लिए वे मोदी से मिलने गई हैं। लेकिन उनकी कोशिशों कामयाब नहीं होगी। विजयवर्गीय पर जवाबी हमला करते हुए राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि चंबल का डकैट बंगाल पर छड़ी घुमाएगा तो यहां की जनता छुपचाप तमाशा नहीं देखेगी। विजयवर्गीय भाजपा कार्यालय में बैठक कर ईडी और सीबीआई को चला रहे हैं।
नरेन्द्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी पहली बार उनसे बुधवार मिलेंगी। अंतिम बार 25 मई 2018 को मोदी और ममता की मुलाकात शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हुई थी। तब मंच पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी उपस्थित थीं। लेकिन अकेले में दोनों ढाई साल पहले मिले थे। उसके बाद पीएम और केन्द्र सरकार के बुलाने पर भी ममता बनर्जी कभी भी दिल्ली नहीं गई। ममता बनर्जी पीएम के शपथ ग्रहण समारोह, नीति आयोग की बैठक और मुख्यमंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं हुई।
विजयवर्गी ने कहा कि हर मुद्दे पर ममता बनर्जी प्रधानमंत्री के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया करती रही हैं। वे प्रधानमंत्री के रुप में मोदीजी का सम्मान करने की जरूरत नहीं समझती हैं अब ममता बनर्जी अचानक प्रधानमंत्री मोदी से मिलना क्यों चाह रही हैं, क्या कोई अनुमान लगा सकता है।