scriptतो क्या पश्चिम बंगाल में भाजपा के ट्रंप कार्ड बनकर ममता को चुनौती देंगे सौरव | West Bengal politics: Can Sourav will emerge as trump card for BJP | Patrika News

तो क्या पश्चिम बंगाल में भाजपा के ट्रंप कार्ड बनकर ममता को चुनौती देंगे सौरव

locationकोलकाताPublished: Oct 15, 2019 06:41:30 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

सौरव गांगुली (Sourav Ganguli ) के बीसीसीआई ( BCCI ) अध्यक्ष चुने जाने के सियासी मायने का विश£ेषण करती यह खास रिपोर्ट।

तो क्या पश्चिम बंगाल में भाजपा के ट्रंप कार्ड बनकर ममता को चुनौती देंगे सौरव

तो क्या पश्चिम बंगाल में भाजपा के ट्रंप कार्ड बनकर ममता को चुनौती देंगे सौरव

कोलकाता. लंबे समय से बंगाल में भाजपा नेतृत्व के पास अदद चेहरे का अभाव बताने वाले राजनीतिक पंडित क्रिकेट की हालिया सियासत के बाद चौंके हुए हैं। उन्हें राज्य के सबसे ज्यादा चर्चित, बांग्ला भद्रलोक का गौरव कहे जाने वाले प्रिंस ऑफ कोलकाता में अचानक भाजपा का नया चेहरा दिखने लगा है। उनका यह आंकलन हवा हवाई भी नहीं कहा जा सकता, वजह क्रिकेट की राजनीति में हुआ अप्रत्याशित घटनाक्रम।
विश्व के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए सौरव गांगुली का सर्वसम्मति से चुना जाने के पीछे का विश£ेषण तो सामने आ गया है। फिर भी हम अपने पाठकों को बता दें कि अध्यक्ष पद के लिए बृजेश पटेल आगे चल रहे थे। इस बीच केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के सौरव के समर्थन में आने से और फिर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सौरव की मुलाकात के बाद सारे समीकरण दरकिनार हो गए। दादा ने बीसीसीआई अध्यक्ष के चुनाव में बाजी मार ली।
कार्यकाल खत्म होते ही बंगाल में आ जाएगा चुनावी मोड
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक अब दादा दस महीने क्रिकेट बोर्ड की कमान संभालेंगे। उसके बाद तीन साल के कूलिंग पीरियड में चले जाएंगे। उनके कार्यकाल के दस महीने खत्म होने के समय का जो दौर होगा उसमें पश्चिम बंगाल में चुनावी वातावरण तैयार हो चुका होगा। पश्चिम बंगाल में वर्ष 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में 40 प्रतिशत वोट और 18 सीटें जीत चुकी भाजपा ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही होगी। ऐसे समय में सौरव जैसे युवा आइकन को सामने लाने से भाजपा में चेहरे की कमी वाला तर्क खत्म हो जाएगा। सौरव की बंगाल में फैन फॉलोविंग को टक् कर देने वाला अभी कोई नहीं है। बीसीसीआई प्रमुख की कमान संभालने से उनके पास प्रशासकीय अनुभवों की फेहरिश्त भी लंबी हो जाएगी।
भाजपा की प्रदेश इकाई से जुड़े वरिष्ठ नेता के मुताबिक कूलिंग पीरियड में यदि सौरव खुलकर भाजपा के समर्थन में आ जाते हैं तो तृणमूल कांग्रेस का दक्षिण कोलकाता का गढ़ ढहने में समय नहीं लगेगा। हालांकि सौरव अभी राजनीति से जुडऩे या भाजपा का प्रचार करने जैसी संभावना वाले सवालों को सिरे से नकार रहे हैं। लेकिन उनका यह कहना कि बड़े फैसले अंतिम समय में लिए जाते हैं का निहितार्थ भाजपा नेता अपने समर्थन का बताते हैं।
वर्ष 2016 में भी हुई थी नाम की चर्चा
पश्चिम बंगाल के वर्ष 2016 विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा के प्रदेश के चेहरे के रूप में सौरव का नाम उठा था। लेकिन उन्होंने ऐसे किसी संभावना से इंकार कर दिया था। भाजपा सूत्रों के मुताबिक सौरव राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार थे, लेकिन चुनाव प्रचार या फिर भाजपा से चुनाव से पहले जुडऩे से उन्होंने इंकार कर दिया था। उस समय से अब तक हुगली में बहुत सा पानी बह चुका है। भाजपा राज्य के बड़े भौगोलिक हिस्से में अपने झंडे गाड़ चुकी है। कोलकाता व आसपास के जिलों में भी वह तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रही है। ऐसे में सौरव भी अंतिम समय में कोई बड़ा फैसला ले लें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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