scriptWest Bengal पुंछी आयोग की सिफारिश के सहारे मुख्यमंत्री के चांसलर बनने का रास्ता साफ किया | West Bengal politics Mamata vs Jagdeep dhankar | Patrika News

West Bengal पुंछी आयोग की सिफारिश के सहारे मुख्यमंत्री के चांसलर बनने का रास्ता साफ किया

locationकोलकाताPublished: May 27, 2022 12:35:43 am

Submitted by:

Paritosh Dube

पश्चिम बंगाल West Bengal सरकार ने अब राज्यपाल जगदीप धनखड़ को सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद से हटाकर मुख्यमंत्री को इस पद पर बैठाने की दिशा की ओर कदम बढ़ा दिया है। इस काम में राज्य सरकार केन्द्र और राज्य के संबंधों को परिभाषित करने के लिए गठित मदनमोहन पुंछी आयोग की सिफारिशों का सहारा ले रही है।

West Bengal पुंछी आयोग की सिफारिश के सहारे मुख्यमंत्री के चांसलर बनने का रास्ता साफ किया

West Bengal पुंछी आयोग की सिफारिश के सहारे मुख्यमंत्री के चांसलर बनने का रास्ता साफ किया

कोलकाता

पश्चिम बंगाल के सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलाधिपति का ताज राज्यपाल से छीनकर मुख्यमंत्री के सिर पर पहनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। राज्य की केबिनेट ने इस आशय का निर्णय भी ले लिया है। राज्य केबिनेट के इस निर्णय के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। साथ ही इसकी वैधता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसी स्थिति में जानते हैं कि आखिरकार राज्य सरकार ने किस आधार पर एक ही झटके में कुलाधिपति पद से राज्यपाल को हटाकर मुख्यमंत्री को सौंपे जाने का निर्णय लिया। राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक ऐसा जस्टिट मदन मोहन पुंछी आयोग की सिफारिश के तहत किया गया है।
———-
वर्ष २००७ में हुआ था गठन, २०१० में सौंपी थी रिपोर्ट
पुंछी आयोग का गठन केन्द्र और राज्य सरकार के संबंधों व उनके नए मुद्दों पर विचार करने के लिए वर्ष २००७ में किया गया था। आयोग ने ३० मार्च २०१० को अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपी थी। आयोग ने सात खंडों की रिपोर्ट में २७३ सिफारिशें की थीं। जिनमें से राज्यपाल को राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिकपति पद से हटाने का सुझाव भी था।
——
राज्यपाल को केवल संवैधानिक अधिकार
आयोग ने अपनी रिपोर्ट के दूसरे खंड में राज्यपालों के कुलाधिपति के रूप में पदस्थापित किए जाने पर सवाल उठाए थे। आयोग ने सिफारिश की थी राज्यपाल को केवल संवैधानिक दायित्वों को निष्पक्ष रूप से निर्वहन करने में सक्षम होना चाहिए। राज्यपाल पर उन पदों और शक्तियों का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए जिनकी संविधान में परिकल्पना नहीं की गई है अथवा जिनसे उनका पद विवाद या सार्वजनिक आलोचना के केन्द्र में आ जाए। राज्य की विधायिका को राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति बनाने और उनकी शक्तियां प्रदान करने से बचना चाहिए। समय और परिस्थितियों के परिवर्तन के साथ मंत्रिपरिषद स्वाभाविक रूप से विश्वविद्यालय शिक्षा को विनियमित कर सकती है। इसमें राज्यपाल को कुलाधिपति बनाए रखने की आवश्यक्ता नहीं है।
———–
क्या हुआ कैबिनेट की बैठक में
राज्य सरकार ने गुरुवार को राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद से राज्यपाल जगदीप धनखड़ को हटाकर उनकी जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बैठाने का फैसला किया है। कैबिनेट ने गुरुवार को अचानक बुलाई गई बैठक में इस फैसले पर मुहर भी लगा दी।
———–
अगले विधानसभा सत्र में विधेयक
राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने बताया कि कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति बनाने संबंधित सरकार के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। इसे कानूनी रूप देने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू कर दी जाएगी। मौजूदा कानून में संशोधन करने के लिए राज्य सरकार अगले विधानसभा सत्र में बिल लाएगी। ब्रात्य बसु ने कहा कि अगर राज्यपाल बिल की अनुमति नहीं देंगे तो सरकार ऑडिनेंस लाकर मुख्यमंत्री को कुलाधिपति बनाएगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो