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West Bengal politics अर्जुन की घर वापसी का राज कहीं सौ से ज्यादा केस, छह विधासनभा क्षेत्रों में हार तो नहीं

locationकोलकाताPublished: May 22, 2022 11:48:20 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

पश्चिम बंगाल के बाहुबली नेता और बैरकपुर के सांसद अर्जुन सिंह की तृणमूल कांग्रेस में वापसी को लेकर अलग अलग तर्क और बयान सामने आ रहे हैं। सत्ता पक्ष जहां उनकी वापसी को ममता बनर्जी के विकास से जोड़ रहा है वहीं उनके करीबी कुछ और बातें बताते हैं।

West Bengal politics अर्जुन की घर वापसी का राज कहीं सौ से ज्यादा केस, छह विधासनभा क्षेत्रों में हार तो नहीं

West Bengal politics अर्जुन की घर वापसी का राज कहीं सौ से ज्यादा केस, छह विधासनभा क्षेत्रों में हार तो नहीं

कोलकाता. जूट बेल्ट के बाहुबली नेता अर्जुन सिंह की तृणमूल में घर वापसी का वे भले ही दूसरे कारण बता रहे हों लेकिन उनके करीबी मानते हैं कि उन पर दर्ज सौ से ज्यादा आपराधिक मामले, विधानसभा चुनाव में उनके संसदीय क्षेत्र की सात में से छह सीटों पर भाजपा की हार उनके तृणमूल में जाने के बड़े कारण हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार के खिलाफ जाकर उनके व्यवसायिक हितों पर भी चोट पहुंच रही थी जिसका वे लंबे समय तक मुकाबला नहीं कर पाए।
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तीन सालों में ही 70 से ज्यादा मामले
अर्जुन सिंह ने मार्च 2019९ में भाजपा का दामन थामा था। चुनाव आयोग को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे में उनके आपराधिक रिकार्ड का मुआयना करने से मालूम चलता है कि उनके भाजपा से जुडऩे और लोकसभा का नामांकन भरने के बीच के दो महीनों में ही उनपर 11 आपराधिक मामले जगदल, नैहाटी, बीजपुर जैसे थानों में दर्ज किए गए। वहीं माकपा के लंबे कार्यकाल में उनके खिलाफ १३ मामले ही दर्ज थे। वर्ष 2019 का चुनाव जीतने केबाद अर्जुन सिंह पर मुकदमों और मामलों की बाढ़ आ गई। सूत्रों के मुताबिक उनपर अभी सौ से ज्यादा मामले दर्ज हैं। उनके करीबियों के मुताबिक एक के बाद एक आपराधिक मामले दर्ज होने से उनका मनोबल लगातार कमजोर हो रहा था।
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विधानसभा चुनाव में गढ़ भी ढहा
वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन की आस लगाए बैठे अर्जुन सिंह को खासी निराशा हाथ लगी। उनके संसदीय क्षेत्र बैरकपुर के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीटों में से छह पर भाजपा की हार हुई।
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निकाय चुनावों ने रही सही कसर भी पूरी कर दी
इसके बाद वर्ष 2022 के निकाय चुनाव में अर्जुन का बचा खुचा राजनीतिक साम्राज्य भी हाथ से निकल गया। शिल्पांचल की आधा दर्जन पालिकाओं में से किसी पर भी अर्जुन भाजपा का बोर्ड नहीं बनवा सके।
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प्रभावित हो रहा था व्यवसाय
अर्जुन सिंह के करीबियों के मुताबिक कई व्यवसायों से जुड़े अर्जुन सिंह के व्यवसायिक हित विपक्ष की राजनीति करने से प्रभावित हुए थे। जिसके कारण वे दबाव में थे।
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आत्मसमर्पण किया अर्जुन ने
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष के मुताबिक अर्जुन सिंह ने राज्य की सत्ता के आगे आत्मसमर्पण कर दिया। उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंच रहा था। वे दबाव सह नहीं पाए। इसलिए अपनी पुरानी पार्टी में चले गए।
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रक्तरंजित राजनीति खत्म होने की आस
गोलीबारी, बम धमाकों से गूंजते रहने वाले बैरकपुर शिल्पांचल में राजनीतिक हिंसा के बेनजीर उदाहरण रहे हैं। आलम ऐसा भी रहा है कि अर्जुन सिंह के मई 2021 में संसदीय चुनाव जीतने के बाद इलाके की कानून व्यवस्था ताश के पत्तों की तरह बिखर गई थी। जिसे नियंत्रण में लाने के लिए उस समय महीने भर के भीतर बैरकपुर के पुलिस आयुक्त पांच बार बदले गए थे। हिंसा की बलि चढ़े लोगों की हर महीने संख्या बढ़ती रही। इलाके में साम्प्रदायिक तनाव भी होता रहा। अब अर्जुन सिंह की घर वापसी के बाद बैरकपुर शिल्पांचल में रक्तरंजित राजनीति खत्म होने की आस जग रही है। वहीं राजनीतिक विश£ेषज्ञों का मानना है कि अब इलाके में तृणमूल कांग्रेस की गुटबाजी से जुड़ी वारदातें बढ़ सकती हैं। वजह बताते हुए विश£ेषज्ञ कहते हैं कि अब तक एक दूसरे के खून के प्यासे रहे भाजपा और तृणमूल के कार्यकर्ता अपने सालों चले मनमुटाव को इतनी जल्दी नहीं भूलने वाले हैं।
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