किसानों का कहना है कि राज्य सरकार ने दूसरे राज्यों में आलू भेजने पर रोक लगा दी है। इस कारण वे चाह कर भी उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा समेत दूसरे राज्यों में आलू नहीं भेज पा रहे हैं। फलस्वरूप अतिरिक्त आलू की खेप कोल्ड स्टोरों में पड़ी हुई है। आलू की नई फसल बाजार में आ गई है। ऐसे में किसानों को कोल्ड स्टोरों में रखे आलू को निकाल कर बेचना जोखिम भरा काम लग रहा है।
यहां आलू का उत्पादन अधिक पश्चिम बंगाल में बांकुड़ा, हुगली, बर्दवान समेत कई अन्य ऐसे जिले हैं जहां किसान आलू की खेती को प्राथमिकता देते हैं। हुगली के हरिपाल के किसान स्वरूप दास बताते हैं कि कोल्ड स्टोर में 50 किग्रा. आलू रखने पर 83.25 पै. की लागत आती है। जबकि थोक बाजार में इसकी कीमत 110 से 120 रुपए ही है। 20 से 25 रुपए लाभ के पीछे परिवहन खर्च भी शामिल है। यही नहीं 50 किलो आलू में कुछ खराब भी हो जाते हैं। मामूली लाभ के चक्कर में किसान कोल्ड स्टोर से पुराना आलू निकालने को लेकर उदासीन हैं।
इनका कहना है इधर, पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष पतित पावन दे ने बताया कि गत 27 दिसम्बर को कृषि विपणन मंत्री तपन दासगुप्ता के कार्यालय में हुई बैठक के अनुसार कोल्ड स्टोर मालिक पुराने आलू को निकाल रहे हैं। ताकि नई फसल रखने से पहले कोल्ड स्टोरों की मरम्मत और रखरखाव का काम पूरा किया जा सके। (कासं.)