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कोलकाता

देश में आखिर जूट के बोरे की कमी का क्या है कारण, जानिए…

रबी सीजन में गेहूं, चना व दालों की पैकिंग के लिए जूट के बोरे की भारी किल्लत ने उपभोक्ता खाद्य व जन वितरण मंत्रालय की नींद उड़ा दी है।

कोलकाताMay 17, 2019 / 04:56 pm

Prabhat Kumar Gupta

kolkata west bengal

देश में आखिर जूट के बोरे की कमी का क्या है कारण, जानिए…

– गेहूं, चना व दालों की पैकिंग के लिए मची हायतौबा
कोलकाता.
रबी सीजन में गेहूं, चना व दालों की पैकिंग के लिए जूट के बोरे की भारी किल्लत ने उपभोक्ता खाद्य व जन वितरण मंत्रालय की नींद उड़ा दी है। पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जूट के बोरे की कमी के कारण किसान पशोपेश में हैं। बरसात से पहले खाद्यान्नों की पैकिंग तथा भण्डारण मंत्रालय के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। पंजाब में गेहूं की बम्पर फसल के मुकाबले जूट के बोरे काफी कम पड़ रहे हैं। अकेले पंजाब में ही करीब 33,000 बेल जूट के बोरे की कमी महसूस की गई है। पंजाब सरकार ने इसके लिए परोक्ष रूप से वस्त्र मंत्रालय के अधीन जूट आयुक्त कार्यालय को कटघरे में लाया है। बोरे की कमी से उत्पन्न परिस्थिति से निपटने के लिए मंत्रालय की विशेष टीम हाल ही में पंजाब की मण्डियों का जायजा भी लिया है।
इधर, जूट के बोरे की बढ़ती मांग के मद्देनजर उपभोक्ता खाद्य व जन वितरण मंत्रालय ने पिछले सप्ताह नई दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक भी की थी। सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से जूट के बोरे की बढ़ती मांग का असर पंजाब, हरियाणा सहित दूसरे राज्यों पर पड़ा है। पंजाब के खाद्य व जन वितरण विभाग के प्रधान सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने बोरे की कमी की आशंका जताते हुए पहले ही केंद्रीय उपभोक्ता खाद्य व जनिवतरण मंत्रालय को सतर्क कर दिया था। कारण यह कि पंजाब सरकार ने 115 लाख टन गेहूं की खरीदारी कर ली है। इसमें से 85 लाख टन गेहूं की पैकिंग का काम पूरा होना बताया जा रहा है। बम्पर खेती के चलते राज्य में 132 लाख टन गेहूं उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसे में पंजाब को 17 लाख टन गेहूं की पैकिंग की समस्या खड़ी हो गई है। पंजाब सरकार 10 मई तक खरीदारी प्रक्रिया समाप्त करने का संकेत दिया है।
रि-यूज बोरे के इस्तेमाल का संकेत-

राष्ट्रीय स्तर पर जूट के बोरे की भारी किल्लत से निपटने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता खाद्य व जनवितरण मंत्रालय ने राज्य की एजेंसियों को एक बार इस्तेमाल हुए जूट के बोरे का पुर्नप्रयोग करने का भी संकेत दिया है। कारण राइस मिलों, विभिन्न आढ़तों (मुकाम) और फ्लोर मिलों के पास भी जूट के बोरे पड़े हैं।
इधर, केंद्रीय उपभोक्ता खाद्य व जनवितरण मंत्रालय ने बोरे की कमी को देखते हुए वस्त्र मंत्रालय के माध्यम से पश्चिम बंगाल की जूट मिलों पर दबाव डाला है। इस संदर्भ में जूट आयुक्त मलय चंदन चक्रवर्ती ने पत्रिका को बताया कि पिछले 5 साल में पहली बार इतनी भारी मात्रा में जूट के बोरे की मांग है। करीब 15 लाख 80,000 बेल (500 बोरे प्रति बेल) की मांग है। राज्य की जूट मिलों की उत्पादन क्षमता अधिकतम 3 लाख बेल प्रति महीने से अधिक नहीं है। ऐसे में मंत्रालय विकल्प का रास्ता अपनाएगा। इधर, जूट मिल मालिकों का संगठन इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (इजमा) के चेयरमैन मनीष पोद्दार ने माना कि देश के विभिन्न राज्यों में जूट के बोरे की भारी किल्लत है। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी और लोकसभा चुनाव के कारण जूट मिलों में श्रमिकों की भारी कमी चल रही है। इसका अनुकूल असर बोरे के उत्पादन पर पड़ा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 10 जून तक बोरे की समस्या दूर हो जाएगी।
कहां कितनी कमी-

महाराष्ट्र- 8050 बेल

उत्तराखण्ड- 2928 बेल

एफसीआई- 9456 बेल

हरियाणा- 35,945 बेल

बिहार- 11,830 बेल

ओडिसा- 43194 बेल

आंध्र प्रदेश- 37,530 बेल

उत्तर प्रदेश- 40,000 बेल
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