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WEST BENGAL —लगभग विलुप्त होने की राह पर ऐतिहासिक ट्राम

locationकोलकाताPublished: Oct 27, 2021 11:53:09 am

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

2022 में पूरे होंगे 150 साल

WEST BENGAL ---लगभग विलुप्त होने की राह पर ऐतिहासिक ट्राम

WEST BENGAL —लगभग विलुप्त होने की राह पर ऐतिहासिक ट्राम

KOLKATA TRAM–कोलकाता। औपनिवेशिक काल से बंगाल की पहचान रही ऐतिहासिक ट्राम अब तकनीक के साथ विकसित होती दुनिया के साथ कदमताल नहीं कर पा रही है। भारत में अंग्रेजी शासन से लेकर अब तक कोलकाता की ट्राम सेवा के 2022 में 150 साल पूरे होंगे। लेकिन ट्राम सेवा अब लगभग विलुप्त होने की राह पर है। 1873 में कोलकाता में पहली बार ट्राम सेवा आर्मेनिया घाट से सियालदह तक शुरू किया गया था। इस यात्रा की लंबाई 3.9 किलोमीटर थी। यात्रियों की कमी से यह सेवा बंद करनी पड़ी थी। इसके बाद लंदन स्थित कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी आई। तत्कालीन कलकत्ता में शुरू ट्राम सेवा शुरुआती दिनों में घोड़ों से खींची जाती थी। उस समय ट्राम कंपनी के पास 177 ट्राम और एक हजार घोड़े थे। बाद में ट्राम चलाने के लिए स्टीम इंजन का इस्तेमाल किया गया। 1900 की शुरुआत में 1435 मिमी (४.6.5 फीट) की मानक गेज ट्राम लाइन बनाई गई। 1902 में ट्राम सेवाओं का विद्युतीकरण शुरू हुआ, उस समय यह एशिया की पहली इलेक्ट्रिक ट्राम सेवा थी। स्वतंत्रता के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता ट्राम कंपनी का अधिग्रहण कर लिया।महानगर में वायु प्रदूषण स्तर अभी भी चरम पर है। 2019 विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसारकोलकाता दुनिया का छठा सबसे प्रदूषित शहर है। पर्यावरणविद शहर के अधिकांश वायु प्रदूषण के लिए खस्ताहाल सार्वजनिक परिवहन को जिम्मेदार ठहरा रहे। इसी वजह से पर्यावरणविद पिछले कुछ समय से पर्यावरण अनुकूल सार्वजनिक परिवहन की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। कलकत्ता ट्राम उपयोगकर्ता संघ के सदस्यों ने महानगर में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए शहर की सडक़ों पर ट्राम की संख्या बढ़ाने की मांग की है।
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37 रूटों पर संख्या घटकर 250
ट्राम के कुछ पुराने कर्मचारियों के अनुसार 1984-85 में 358 ट्राम रोज सडक़ पर दौड़ती थीं। 2007-08 और 2008-09 में 37 रूटों पर संख्या घटकर 250 रह गई। अभी इन रूटों की संख्या घटाकर 4 है। टालीगंज-बालीगंज, गोरियाहाट-धर्मतला, श्यामबाजार-धर्मतला और बिधाननगर-राजाबाजार पर औसतन 22 ट्राम चल रही। इससे राज्य सरकार को कोई लाभ नहीं हो रहा। महानगर में ट्राम की कमी के सवाल पर कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी के पास कोलकाता में 246 ट्राम हैं। ट्राम के इंजीनियरिंग विभाग के एक कर्मचारी ने कहा कि पहले हर ट्राम का एक हिस्ट्री कार्ड होता था। उसमें यह उल्लेख किया गया होता था कि कब ट्राम बनाया गया था, किस तरह की मरम्मत या अवलोकन किए गए थे। लेकिन अब यह यह पिछले नौ साल से बंद है। नवंबर 2009 में एक हजार 10 ट्राम कर्मचारियों को स्थायी किया गया। 2010-11 में 1350 स्थायी और 250 अस्थायी कर्मचारी थे। 2014-15 से तीन वर्षों में 500 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी गई है। अब 2,250 स्थायी कर्मचारी हैं। विभिन्न कारणों से उनमें से सभी केवल हाजिरी लगाकर वेतन पाने की स्थिति में हैं। ठेकेदारों से सैकड़ों श्रमिकों को दैनिक वेतन आधार पर काम पर रखा गया है।

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