अभी मनोज चक्रवर्ती शिकायत कर ही रहे थे कि राज्य के संसदीय कार्य राज्य मंत्री तापस राय ने सदन में प्रवेश किया। विपक्षी दल के विधायकों ने मंत्री से विलंब से आने का कारण पूछा तो वे आपे से बाहर हो गए। उन्होंने तेज आवाज में कहा कि ‘‘किस बात पर यह हंगामा हो रहा है?’’ और विधायक मनोज चक्रवर्ती के पास पहुंच गए और हाथापाई पर उतारू हो गए। इसमें विपक्ष के और भी विधायक उलझ गए। कांग्रेस व वाम मोर्चा के विधायकों ने इसका कड़ा विरोध करते हुए मंत्री से माफी मांगने की मांग की, लेकिन मंत्री राय ने माफी मांगने से इनकार कर दिया। इस बीच स्पीकर ने कहा कि जो हुआ वह उचित नहीं है। विपक्ष शान्त हो जाए।
लेकिन विपक्ष के विधायक नहीं माने और सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए सदन से निकल गए और विधानसभा परिसर में अंबेडकर की मूर्ति के पास जा कर धरने पर बैठक गए। भाजपा विधायक मनोज तिग्गा ने न तो सदन का बहिष्कार किया और न ही बजट पर बहस में हिस्सा लिया। दोपहर 2.30 बजे राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी सदन में आए विपक्ष को समझाया। उन्होंने भविष्य में कभी भी ऐसी घटना नहीं होने का भरोसा दिया।
तानाशाही रवैये को दर्शाया
वाम मोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि मंत्री के व्यवहार से विपक्ष ने खुद को अपमानित महसूस किया। सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस नेता असित मित्रा ने कहा कि जो आक्रमकता मंत्री रॉय ने विपक्षी विधायकों के प्रति दिखाई, वह ममता बनर्जी सरकार के तानाशाही रवैये को रेखांकित करती है। राज्यपाल के बजट भाषण पर बाद में बहस शुरू हुई लेकिन उस समय विपक्षी दल का कोई भी विधायक मौजूद नहीं था।