उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भाजपा बंगाली विरोधी पार्टी है। इस तरह के सांप्रदायिक बयान केवल उसकी मानसिकता को दर्शाते हैं। भाजपा और उसके नेताओं को बंगाल, उसकी संस्कृति और खाने की आदतों के बारे में कुछ भी पता नहीं है और वे बंगाल पर राज करने का सपना देख रहे हैं। बंगालियों का अपमान करने का उन्हें जवाब देना होगा।
रॉय के बयान को माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने समर्थन देते हुए कहा कि भाजपा देश की नस्लीय रूपरेखा बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सिर्फ रोटी नहीं खाने से कोई व्यक्ति बांग्लादेशी नहीं बन जाता है। हमने यह पहली बार सुनी है। पोहा एक ऐसा मुख्य आहार है जो नाश्ते के रूप में बहुत लोकप्रिय है। भाजपा क्या करने की कोशिश कर रही है? सलीम ने कहा कि पहनावे, खान-पान और जीवनशैली के आधार पर देश की नस्लीय रूपरेखा बनाने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि विजयवर्गीय की टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी का सिर्फ एक विस्तार है कि नागरिकता कानून के तहत हिंसा में लिप्त लोगों की पहचान उनके पहनावे से की जा सकती है। मोदी ने दिसंबर में झारखंड में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि जिन लोगों ने सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था उन्हें उनके पहनावे से पहचाना जा सकता है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी विजयवर्गीय की आलोचना करते हुए कहा कि उनका बयान पश्चिम बंगाल के लोगों का अपमान है।