उन्होंने एलआईसी में लोगों के पैसे सुरक्षित होने का भरोसा दिलाया और पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने का संकेत दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने इस बार किस राज्य को कितना मिला और किस राज्य को नहीं मिला के आधार पर बजट तैयार नहीं किया है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में खपत बढ़ाए जाने के उपाय किए गए हैं। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि सरकार बुनियादी क्षेत्र के विकास के लिए निवेश करे। इससे आखिरकार देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर का बनाने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों की साल में एक बार समीक्षा की हिमायत की। अभी हर तीन माह पर जीएसटी दरों की समीक्षा होती है। उन्हें लगता है कि इसका देश की आर्थिक वृद्धि पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक सकारात्मक व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
वे यहां व्यवसायियों, उद्योगपतियों और विशेषज्ञों के साथ बैठक करने के बाद संवाददाताओं को संबोधित कर रही थीं। इस दौरान उनके साथ उनके मंत्रालय के छह सचिव भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि कि ग्रामीण आर्थिक संकट को दूर करने के लिए बजट में 16 बिंदुओं पर कार्यवाही पर फोकस किया गया है।
उम्मीद है कि यह सब पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। बजट में पश्चिम बंगाल को वंचित किए जाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में किस को क्या मिला उन्हें पता नहीं है। बजट में व्यापक आर्थिक स्थिरता लाने और कर कम करने की व्यवस्था की गई है। इससे लोगों के हाथों में पैसे आएंगे और खपत बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और किसानों से संबंधित योजनाओं पर धन खर्च करने की घोषणा की गई है।
उन्होंने कहा कि एलआईसी के शेयर बेचने से इसमें निवेश करने वाले लोगों को आशंकित होने की जरूरत नहीं है। इसके शेयर बेचने से निवेशकों के पैसे खतरे में होने का कोई संबंध नहीं है। पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा कि पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में पेट्रोलियम पदार्थ पहले से ही जीएसटी में शुमार है, लेकिन इसकी दर शून्य रखी गई है। इसकी दर राज्य सरकारें तय करती हैं। भविष्य में राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर इसे पूर्ण रूप से जीएसटी में शामिल किया जा सकता है।