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ट्रांसपोर्ट उद्योग का पहिया पंचर

locationकोलकाताPublished: Oct 19, 2021 12:20:24 am

Submitted by:

Rabindra Rai

पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढऩे से देश में ट्रांसपोर्ट उद्योग का पहिया पंचर हो गया। आर्थिक संकट में ट्रकों के पहिये फंसते जा रहे हैं। माल ढोने में ट्रकों की परिचालन लागत बढ़ती जा रही है और किराया नहीं बढऩे से ट्रक मालिकों की आमदनी घटती जा रही है।

ट्रांसपोर्ट उद्योग का पहिया पंचर

ट्रांसपोर्ट उद्योग का पहिया पंचर

महामारी और महंगाई से 20 करोड़ लोगों पर संकट
ट्रक मालिकों ने ऋण की किस्त भी नहीं चुकाई
रवींद्र राय
कोलकाता. पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढऩे से देश में ट्रांसपोर्ट उद्योग का पहिया पंचर हो गया। आर्थिक संकट में ट्रकों के पहिये फंसते जा रहे हैं। माल ढोने में ट्रकों की परिचालन लागत बढ़ती जा रही है और किराया नहीं बढऩे से ट्रक मालिकों की आमदनी घटती जा रही है। 1 से 5 ट्रक वाले छोटे ऑपरेटर तो तेजी से अपनी आजीविका खो रहे हैं। छोटे ऑपरेटर ऋण की किस्त भी नहीं भर पा रहे हैं। माल लाने और ले जाने की आजीविका से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 20 करोड़ लोगों पर आर्थिक संकट के बादल छाने लगे हैं।

ईंधन के दाम बढऩे से घाटा
ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों के एक शीर्ष निकाय ऑल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के पदाधिकारियों के मुताबिक पहले जीएसटी, फिर कोरोना और अब पेट्रोल डीजल के दाम बढऩे से ट्रांसपोर्ट उद्योग लगातार प्रभावित हो रहा है।
जिस अनुपात में दाम बढ़ रहे हैं उस अनुपात में माल भाड़ा नहीं बढऩे से इस उद्योग को भारी घाटा हो रहा है।

दिवालियेपन के कगार पर
एआईएमटीसी के महासचिव नवीन गुप्ता ने बताया कि डीजल की कीमतों में वृद्धि, अत्यधिक कराधान, भ्रष्टाचार बढऩे और काम की कमी से अधिकांश ट्रक मालिक-चालक प्रभावित हैं। कई ऑपरेटर तनाव में हैं। कई दिवालियेपन के कगार पर हैं। कुछ अपने ट्रकों को बेचने पर मजबूर हुए हैं।

जीएसटी के दायरे में लाना जरूरी
फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अमृत शेरगिल ने कहा कि देश की जीवनरेखा और अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाला माल ढुलाई उद्योग त्रस्त है। महामारी और बढ़ती महंगाई ने उद्योग की कमर तोड़ दी है। पश्चिम बंगाल में 30 से 35 फीसदी ट्रक विभिन्न कारणों से खड़े हैं। सरकार को ईंधन के दामों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए।

इनका कहना है
ईंधन के दाम कम किए जाए। प्राधिकार फीस सहित राष्ट्रीय परमिट, फिटनेस, ड्राइविंग लाइसेंस, बीमा या किसी अन्य मोटर व्हीकल एक्ट 1988 और मध्य मोटर वाहन नियम, 1989 से संबंधित दस्तावेजों की वैधता कम से कम 31 दिसंबर या 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा देनी चाहिए। उन ऑपरेटरों पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए जो अपने दस्तावेजों का नवीनीकरण कराने में सक्षम नहीं हैं।
कुलतारन सिंह अटवाल, अध्यक्ष, एआईएमटीसी
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