जब बोले ओडिशा का मोदी के नाम से मशहूर केंद्रीय राज्यमंत्री सारंगी, तो गूंजे भारतमाता के जयकारे
कोलकाताPublished: Feb 17, 2020 10:52:27 pm
WEST BENGAL NEWS: When Union Minister of State for Odisha, known as Modi, Sarangi, SAID, echoed Bharatmata. at kolkata–कहा, भारत के आध्यात्मिक वैशिष्ट को स्वीकारने लगा अब विश्व बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से आयोजित 34वें विवेकानंद सेवा सम्मान
जब बोले ओडिशा का मोदी के नाम से मशहूर केंद्रीय राज्यमंत्री सारंगी, तो गूंजे भारतमाता के जयकारे
कोलकाता. भारत के आध्यात्मिक वैशिष्ट को अब विश्व स्वीकारने लगा है। ओडिशा का मोदी के नाम से मशहूर केंद्रीय पशुपालन, डेयरी मत्स्य राज्यमंत्री प्रतापचन्द्र सारंगी ने बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से रथीन्द्र मंच में आयोजित 34वें विवेकानंद सेवा सम्मान समारोह में बतौर प्रधान अतिथि यह बात कही। उनके संबोधन के दौरान पूरा सभागार तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंजा और भारत माता के जयकारे लगे। सारंगी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द को पढेेंगे तो भारत भक्ति जगेगी क्योंकि उनके विचारों में भारत केन्द्रबिन्दु पर रहा है। स्वामी विवेकानन्द ने सक्षमता के साथ भारत प्रेम-सेवा की बात कही। उनका सम्पूर्ण जीवन त्याग भरा है। त्याग और सेवा ही भारतीय संस्कृति के आधार हैं। केन्द्रीय पशुपालन, डेयरी मत्स्य राज्यमंत्री प्रतापचन्द्र सारंगी ने रविवार शाम यह बात कही। बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से रथीन्द्र मंच में आयोजित 34वें विवेकानंद सेवा सम्मान समारोह पर बतौर प्रधान अतिथि सारंगी ने कहा कि भारत के आध्यात्मिक वैशिष्ट को अब विश्व स्वीकारने लगा है। हमारा यह आध्यात्म ही हममें सेवा का भाव जगाता है। उन्होंने कहा कि बंगभूमि में जन्म लेने वाले स्वामी विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर, ऋषि अरविन्द एवं अन्य महापुरुषों ने यहां की मिट्टी में विचारों की क्रांति के भाव जगाए। सारंगी ने कहा कि मनुष्य को मनुष्य मानकर सेवा करना ज्ञानयोग, कत्र्तव्य मानकर सेवा करना कर्मयोग तथा भगवान मानकर सेवा करना भक्तियोग है। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द के जीवन की विशेष-विशेष घटनाओं की विस्तृत व्याख्या करते हुए बताया कि केवल बंगाल या भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में विवेकानंद पूजित हैं। उन्होंने कहा कि सागर से टकराते हैं चट्टान/चट्टान से टकराते हैं तूफान/और वही करते हैं नवीन भारतवर्ष का निर्माण। ऐसे थे निर्विकल्प समाधि की ओर अग्रसर होने वाले स्वामी विवेकानन्द। उन्होंने विवेकानन्द के पदचिन्हों पर चलकर सेवा के लिए समर्पित स्वामी जीवनमुक्तानन्द के कार्यों की प्रशंसा की। योगेशराज उपाध्याय के वैदिक मंत्रों के साथ शुरु सम्मान समारोह में भंवरलाल मूंधड़ा ने माल्यार्पण, प्रो. सुजित कुमार घोष ने शॉल तथा सारंगी ने मानपत्र एवं 1 लाख का चेक प्रदान कर स्वामी जीवनमुक्तानन्द पुरी का सम्मान किया। स्वामी ने इस सम्मान राशि को जनसेवा के उपयोग में समर्पण चेरिटेबल ट्रस्ट’ को समर्पित कर दी। अपने सम्मान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए स्वामी जीवनमुक्तानन्द ने कहा कि यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि उड़ीसा के वनवासी अंचल में किए गए सेवा कार्यों का सम्मान है। अपने कर्मपथ पर चलते रहना ही जीवन है। अपने गुरु स्वामी प्रेमानन्द एवं स्वामी लक्ष्मणानन्द के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और बताया कि आरोग्य, शिक्षा तथा चिकित्सा के साथ संस्कार और सकारात्मक सोच के समावेश से मनुष्य का जीवन स्तर ऊँचा उठ सकता है। उन्होंने कहा कि इस सम्मान से मुझे नवीन ऊर्जा प्राप्त होगी। समारोह अध्यक्ष तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद इंस्टीच्यूट ऑफ एशियन स्टडीज के चेयरमैन प्रो. सुजित कुमार घोष ने स्वामी विवेकानन्द को एक चमत्कृत व्यक्तित्व का धनी बताया। उन्होंने कुमारसभा के कार्यों की प्रशंसा की। समारोह के विशिष्ट अतिथि लक्ष्मी नारायण भाला ने स्वामी के जीवन पर प्रकाश डाला। भुवनेश्वर से आए प्रकाशचन्द बेताला ने स्वामी जीवनमुक्तानन्द के कार्यों को विस्तार से बताया। अन्य मंचस्थ अतिथि थे भुनेश्वर के समाजसेवी श्री मनसुख सेठिया। आयकर सलाहकार सज्जनकुमार तुल्स्यान ने केन्द्रीय मंत्री सारंगी का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। गायक ओमप्रकाश मिश्र ने शताब्दी गीत की सांगीतिक प्रस्तुति की। पुस्तकालय के मंत्री महावीर बजाज ने स्वागत भाषण, साहित्य मंत्री बंशीधर शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन और संचालन किया डॉ. तारा दूगड़ ने किया। नन्दकुमार लड्ढा, भंवरलाल मूंधड़ा, भागीरथ चांडक, रामचंद्र अग्रवाल, मनोज काकड़ा, गिरिधर राय एवं सत्यप्रकाश राय ने अतिथियों का स्वागत किया।
समारोह में महावीर प्रसाद मणकसिया, संजय जयसवाल, डा. ऋषिकेश राय, अनिल ओझा नीरद, आनन्द पाण्डेय, विजय ओझा, बसन्त रथ, अजय नन्दी, अशोक पुरोहित, नरेश अग्रवाल, जयगोपाल गुप्ता, शांतिलाल जैन, रंजना त्रिपाठी, सुधा जैन, बनवारी लाल सोमानी, तारकदत्त सिंह, राजेन्द्र कानूनगो, चन्द्रकुमार जैन, महावीर प्रसाद रावत, जलधर महतो, मनोज पराशर, रणजीत लूणिया, डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी, श्रीमोहन तिवारी, सुनील हर्ष, शंकरबक्स सिंह, मुल्तान पारीक, रविप्रताप सिंह, सागरमल गुप्त, राधेश्याम सोनी, प्रभृति कोलकाता हावड़ा के सामाजिक–साहित्यिक क्षेत्र के अनेक गणमान्य लोगों से हॉल खचाखच भरा था।