कोलकाता

अभी भी कहां के लोगों के पहुंच से दूर है स्वच्छ और सुरक्षित पीने का पानी

शुद्ध पीने के पानी को तरसे बंगाल के 126 ब्लॉक के गांव, हो सकती है भ्यावह स्थित

कोलकाताJun 17, 2019 / 08:54 pm

Manoj Singh

अभी भी कहां के लोगों के पहुंच से दूर है स्वच्छ और सुरक्षित पीने का पानी

मनोज कुमार सिंह
कोलकाता
पश्चिम बंगाल के सबसे अधिक सम्पन्न बर्दवान जिले के बर्दवान शहर के वार्ड नंबर 9 के थालबिर माठ इलाके में पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलता है। इस लिए गृहणी सुनिता साव, देविका चौधरी सहित इलाके की महिलाएं रोज तीन किलो मीटर दूर से पीने का स्वच्छ और सुरक्षित पानी लाती है।
इसी तरह पुरुलिया जिले के चोरा की चंद्रवति शाबार और उसके बेटे रोज घंटों पैदल चल कर पीने का शुद्ध पानी लाते हैं। बांकुड़ा के शालतोड़ ब्लॉक की शान्ति मुर्मु सहित वहां की महिलाओं की भी यह दिनचर्या है।
यही ही नहीं आजादी के 70 साल बाद भी स्वच्छ और सुरक्षित पीने का पानी हावड़ा, हुगली, उत्तर 24 परगना जिला, पश्चिम और पूर्व मिदनापुर जिले सहित पश्चिम बंगाल के गांवों में रहने वाले लाखों लोग के पहुंच से दूर है। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ने वाटर ऐड भारत को दुनियां के उन 10 देशों की सूची में शामिल किया है, जहां पीने का स्वच्छ और सुरक्षित पानी तक पहुंच नहीं रखने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है और बंगाल भारत का ऐसा दूसरा राज्य है, जिसके के गांवों में रहने वाली सबसे अधिक आवादी को पीने का स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है।
बंगाल के गांवों में 411 लाख से अधिक लोग रहते हैं। राज्य के कुल ग्रामीण आबादी का करीब 20 प्रतिशत यानि 80 लाख लोगों को शुद्ध और स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित पीने का पानी नहीं मिलता है। लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पानी नहीं मिलने के मामले में राजस्थान देश का पहला राज्य है।
राजस्थान के गांवों में रहने वाले 82 लाख से अधिक लोगों को शुद्ध और सुरक्षित पेयजल नहीं मिलता है। वे या तो गंदा और प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं या फिर उनके घरों की महिलाओं को स्वच्छ पीने का पानी लाने के लिए घंटो पैदल करना पड़ता है।
पश्चिम बंगाल के गांवों में रहने वाली आबादी का लगभग 84 प्रतिशत लोग पीने के पानी के लिए भूजल स्रोतों पर निर्भर है, लेकिन इसके130 से अधिक ब्लॉक का भूजल प्रदूषित है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और अखिल भारतीय स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान के पूर्व पदाधिकारी अरुणभ मजुमदार ने कहा कि बंगाल के लगभग 83 ब्लॉक के भूजल स्रोत आर्सेनिक प्रभावित हैं, लगभग 43 ब्लॉकों में पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा स्वीकृत सीमा से अधिक है।
इसके अलावा अन्य कई ब्लॉकों के भूजल में लोहे और लवणता आवश्यकता से काफी अधिक है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि केवल पश्चिम बंगाल में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 56 प्रतिशत परिवारों को सुरक्षित पीने का पानी मिलता है, जो कि राष्ट्रीय औसत 70.6 प्रतिशत से काफी कम है।
पश्चिम बंगाल के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड और तटीय क्षेत्रों में पेयजल स्रोतों में बढ़ती लवणता सहित कई प्राकृतिक कारण हैं, जो इस समस्या को बढ़ा रहे हैं।
बंगाल में हो सकती है भ्यावह स्थित
17 लाख क्यूबिक मीटर से कम की वार्षिक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता को पानी पर जोर देने वाली स्थिति माना जाता है, जबकि 1000 क्यूबिक मीटर से नीचे की वार्षिक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता को पानी की कमी वाली स्थिति मानी जाती है।
अरुणभ मजुमदार ने कहा कि 2001 में प्रति व्यक्ति औसत जल उपलब्धता 18.2 लाख लीटर थी। यह वर्ष 2011 में घटकर 15.4 लाख लीटर हो गया, यह सुझाव देते हुए कि हम पहले से ही एक जल-बल वाली स्थिति में पल रहे हैं। 2025 में यह घटकर 13.4 लाख लीटर और 2050 तक 11.4 लाख लीटर हो सकता है।
वर्ष 2024 तक शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य
केन्द्र ने बनाया शुद्ध पेय जल पहुंचाने का लक्ष्य छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड और राजस्थान के साथ पश्चिम बंगाल में लोगों को पीने का शुद्ध पानी मुहैया कराने की जलशक्ति मंत्रालय बनाया है।
जलशक्ति मंत्रालय ने आगामी वर्ष 2024 तक देश के कुल 14 करोड़ घरों को शुद्ध और सुरक्षित पीना का पानी मुहैया कराने का लक्ष्य बनाया है। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केन्द्र से टकराव कर इस योजना को बंगाल में लागू करने से इनकार कर दिया है।

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