लेकिन जांच अधिकारियों ने बताया कि सलिम मोल्ला अपने ईट-भट्टा के प्रबंधक को पैसे दे कर दूसरे राज्यों से कुशल मजदूर लाने को कहता था। प्रबंधक बिहार, ओडिशा, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के बीचवलियों से संपर्क करता और इन राज्यों के गरीब लोगों को कुछ पैसे दे कर बाकि पैसे कमीशन के रूप में रख लेते था।
जांच अधिकारियों को बताया कि वे इतने गरीब होते है कि अग्रिम लिए हुए पैसे खर्च करने के बाद वापस नहीं दे पाए। इस लिए ईट-भट्टा के मालिक और प्रबंधक उनसे जबरन मजदूरी करवा रहे थे। उन्हें किसी से भी मिलने नहीं देते थे। कभी सप्ताहिक खर्चे के पैसे नहीं देते थे और घर वापस जाने की अनुमति मांगने पर उन्हें पीटा जाता था।
खूटीबेडिय़ा गांक के लोगों ने बताया कि स्थानीय लोगओं को ईट-भट्टा में प्रवेश मना था। सलिम मोल्ला ने बड़ा सा गेट लगा कर बंद कर दिया था, जो हमेशा बंद रहता था। शुरूआत में कुछ दिन तक सलिम ने स्थानीय गरीब लोगों को काम दिया, लेकिन कम महनताना देने के कारण वे छोड़ दिए। उसके बाद से ईट-भट्टा का प्रवेश द्वार हमेशा बंद रहता था। उसमें काम करने वाले मजदूरों कभी बाहर नहीं आते थे।