कोलकाता. नई दिल्ली
लम्बे समय से जारी अटकलों पर बुधवार को विराम लगाते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी रहे पूर्व मंत्री, पूर्व मेयर और विधायक शोभन चटर्जी और उनकी महिला मित्र डॉ. बैशाखी बंद्योपाध्याय ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस को करारा झटका लगा है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस की विधायक देवश्री राय भाजपा कार्यालय जा कर भी पार्टी में शामिल नहीं हो सकी।
राज्य विधानसभा की मत्स्य और पशु पालन स्थाई कमेटी के पद से इस्तीफा देने के बाद डॉ.
बैशाखी संग शोभन दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय पहुंचे और पार्टी के केन्द्रीय नेताओं की मौजूदगी में औपचारिक तौर से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस मौके पर प्रदेश भाजपा के सह पर्यवेक्षक अरविन्द मेनन, पार्टी नेता मुकुल राय और जयप्रकाश मजूमदार उपस्थित थे।
पत्नी से विवाद के बाद ममता बनर्जी ने शोभन चटर्जी को पहले मंत्री पद से फिर कोलकाता के मेयर पद से हटने को कहा था, तब से वे ममता बनर्जी से नाराज चल रहे थे। राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने डॉ. बैशाली पर भारी दबाव डाला था और शोभन को दोबारा मेयर बनाने का प्रस्ताव दिया था। पर शोभन चटर्जी नहीं माने और भाजपा में शामिल हो गए। लेकिन भाजपा में शामिल होने रायदीघी से तृणमूल विधायक देवश्री राय भी दिल्ली गई थी। शोभन चटर्जी से पहले वह भाजपा मुख्यालय गई और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी की, लेकिन बैरंग लौट गई।
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि शोभन चटर्जी के कारण देवश्री राय को इस दिन भाजपा में शामिल नहीं किया गया। शोभन ने नड्डा से साफ शब्दों में कहा कि अगर देवश्री को पार्टी में शामिल किया गया तो वे भाजपा में शामिल नहीं होंगे।
बंगाल में लोकतंत्र नहीं-शोभन
भाजपा में शामिल होने का कारण बताते हुए शोभन चटर्जी ने कहा कि बंगाल में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है। पंचायत चुनाव में ममता बनर्जी ने हमें बंगाल के कुछ हिस्से का प्रभारी बनाया गया था। लेकिन विपक्षी दलों के नेताओं को नामांकन दाखिल करने नहीं दिया गया। तृणमूल ने अधिकतर पंचायतों पर जबरन कब्जा कर लिया, तब हमने इसका विरोध किया था। तभी से हमारा पार्टी से मोहभंग होने लगा था।
निगम पर होगा भाजपा का कब्जा
मुकुल राय ने कहा कि शोभन चटर्जी बंगाल के कद्दावर नेता हैं। इन्हें पिछले 34 सालों से सक्रिय राजनीति का अनुभव है। ये राज्य के तीन विभागों के मंत्री और कोलकाता के मेयर थे। इनके आने से भाजपा को काफी शक्ति मिलेगी और अगले चुनाव में कोलकाता नगर निगम पर भाजपा का कब्जा तय है।