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पश्चिम बंगाल को क्यों बांग्ला बनाना चाहती हैं ममता

locationकोलकाताPublished: Jul 26, 2018 10:49:54 pm

Submitted by:

MANOJ KUMAR SINGH

राज्य का नाम बदलने पर क्या बोल रहे राज्य के बुद्धिजीवी

kolkata West Bengal

पश्चिम बंगाल को क्यों बांग्ला बनाना चाहती हैं ममता

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पौत्रवधू और पूर्व तृणमूल कांग्रेस सांसद कृष्णा बोस ने कहा कि राज्य का नाम बांग्ला रखने से उन्हें खुशी है। इससे वर्णमाला के हिसाब से सिर्फ राज्यों की सूची में ही पश्चिम बंगाल आगे नहीं आ जाएगा, बल्कि यह अपने इतिहास और साहित्य के करीब आ जाएगा।
कोलकाता
केन्द्र की ओर से वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर अंग्रेजी में बेंगाल, हिंदी में बंगाल और बांग्ला भाषा में बांग्ला करने का प्रस्ताव लौटाने के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम बदल कर बांग्ला करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा और वह अंतिम फैसला करेगी कि राज्य का नाम बदलेगा या नहीं।
वर्ष 2011 में राज्य की सत्ता में आने के बाद से ही मुख्यमंत्री राज्य का नाम बदलने की मुहिम चला रही हैं। अवब सवाल है कि पश्चिम बंगाल का नाम बदलने का क्या उद्देश्य है। 2011 के बाद 2016 के प्रस्ताव को केन्द्र की ओर से खारिज किए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य का नाम बदलने की मुहिम क्यों चला रही है।
कब से मुहिम

2011 में जब ममता बनर्जी दिल्ली में देश के मुख्यमंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने गई थी। अंग्रेजी वर्णमाला के हिसाब से तैयार सूची में पश्चिम बंगाल का नाम वेस्ट बंगाल सबसे अंत में दर्ज था। जब ममता बनर्जी को बोलने का मौका आया तब कई उब गए थे और उनको सुनने वाले बहुत कम बचे थे। बैठक से लौटने के बाद से ममता ने राज्य का नाम बदलने की मुहिम शुरू कर दी।
बंगाल की बारी सबसे आखिर में

प्रत्येक साल 26 जनवरी पर राजपथ पर होने वाली परेड हो या मुख्यमंत्रियों की बैठक या फिर राष्ट्रीय स्तर पर होने वाला कोई भी कार्यक्रम, पश्चिम बंगाल की बारी आखिर में आती है। खुद को हमेशा सबसे आगे रखने वाली ममता बनर्जी को यह बात नागवार लगती थी। इन सब कारणों को गिनाते हुए ममता बनर्जी ने राज्य का नाम बदलने का फैसला किया।
इतिहास के करीब

अब नाम बांग्ला रखने से पश्चिम बंगाल अपने इतिहास के करीब पहुंच जाएग। ठीक उसी तरह जैसे बंबई का नाम मुंबई, मद्रास का नाम चेन्नई और कलकत्ता का नाम कोलकाता हुआ। उत्तराखंड पहले ही अपना नाम उत्तरांचल कर चुका है। यह विरोधाभास भी खत्म हो जाएगा कि देश के इस पूर्वी राज्य का नाम पश्चिम से शुरू होता है। जब दशकों पहले पूर्वी बंगाल शब्द खत्म हो चुका है, तो पश्चिम बंगाल का क्या तुक है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पौत्रवधू और पूर्व तृणमूल कांग्रेस सांसद कृष्णा बोस ने कहा कि राज्य का नाम बांग्ला रखने से उन्हें खुशी है। इससे वर्णमाला के हिसाब से सिर्फ राज्यों की सूची में ही पश्चिम बंगाल आगे नहीं आ जाएगा, बल्कि यह अपने इतिहास और साहित्य के करीब आ जाएगा।
आखिरी से अब चौथे नम्बर पर

केन्द्र सरकार की ओर से राज्य विधानसभा के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद देश के राज्यों की सूची में बंगाल का नाम तौथे स्थान पर आ जाएगा। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पौत्रवधू और पूर्व तृणमूल कांग्रेस सांसद कृष्णा बोस ने कहा कि उन्हें बंग या बांग्ला, दोनों पसंद है। राज्य का नाम बांग्ला रखने से उन्हें खुशी है। लेकिन असली फायदा ममता बनर्जी को यह होगा कि अब राज्यों की सूची में वर्णमाला के हिसाब से पश्चिम बंगाल चौथे नंबर पर आ जाएगा, उससे पहले सिर्फ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और असम रह जाएंगे।
कोई खुश तो कोई नाखुश

प्रत्येक साल दिल्ली में 26 जनवरी की परेड में रवींद्र संगीत की झांकी पेश करने के लिए बंगाल को आखिरी बारी की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी और न ही ममता बनर्जी को भाषण देने के लिए आखिर तक रुकना पड़ेगा। हालांकि कृष्णा बोस के बेटे और तृणमूल कांग्रेस सांसद सुगत बोस ने राज्य के दो नाम अंग्रेजी में बेंगाल और बांग्ला रखने के पक्षधर हैं। उनका तर्क है कि बांग्ला शब्द से कवि गुरु रवीन्द्र नाथ के गान और बंग से बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की याद आती है। इस लिए राज्य का नाम बांग्ला और बेंगाल, दोनों होना चाहिए। साहित्यकार शंख घोष ने कहा कि यह खुशी की बात है कि अब सभी भाषा में पश्चिम बंगाल बांग्ला हो जाएगा।

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