पुरुलिया के आदिवासियों को क्यो धमका कर ममता के घर लाए तृणमूल नेता
भाजपा ने मदन मित्रा जेल से लौटे सबसे बड़ा डकैत – राहुल
पुरुलिया के आदिवासियों को क्यो धमका कर ममता के घर लाए तृणमूल नेता
अगर नाटक ही करना है तो तृणमूल कांग्रेस नेता ठीक से अभ्यास कर के नाटक करते तो उनका पोल नहीं खुलता
कोलकाता
अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को चंबल का डरावना डकैत जैसा चेहरा वाला व्यक्ति कहे जाने पर जवाब में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस नेता मदन मित्रा को जेल से लौटा सबसे बड़ा डकैत कहा। उन्होंने शाह पर पुरुलिया के दो आदिवासी परिवारों के चार लोगों को धमकाने के आरोप को सिरे से खारिज दिया और इसके उलट तृणमूल पर उन्हें धमका कर कोलकाता स्थित ममता बनर्जी के घर लाने का आरोप लगाया।
राहुल सिन्हा ने कहा कि सारधा चिटफंड घोटाले के पैसे डकाने वाले मदन मित्रा से बड़ा बंगाल में और कौन डकैत हो सकता है। वे जमानत पर जेल से रिहा बंगाल का सबसे बड़ा डकैत हैं। उन्होंने शाह की ओर से पुरुलिया के आदिवासी परिवार को धमकाने के आरोप को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अमित शाह पुरुलिया के उक्त परिवार से मिल कर खुशियां मनाने नहीं गए थे। वे तृणमूल कांग्रेस की ओर किए जा रहे हमले और हिंसा से आतंकित लोगों से मिल कर उनका ढाढस बढ़ाने और इस आफत की घड़ी में उनके पास खड़ा होने का संदेश देने के लिए गए थे। इसी उद्देश्य से पुरुलिया के आदिवासी परिवार की शिशुबाला राजभर, पुचु राजभर और अन्य लोगों से मिले थे। शाह ने उनसे सिर्फ मुलाकात की थी। लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने ओछी राजनीति का परिचय देते हुए उन्हें डरा-धमका कर कोलकाता लाई और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के घर में संवाददाता सम्मेलन कर उन्हें तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की। लेकिन पुचु राजभर ने उनके आरोपा का पोल खोल दिया। पास में बैठ कर मदन मित्रा उसे बोलने के लिए सीखा रहे हैं। फिर भी उसने स्वीकार किया कि शाह ने कोई धमकी नहीं दी। अगर नाटक ही करना है तो ठीक से अभ्यास कर के नाटक करते तो उनका पोल नहीं खुलता। उधर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने तृणमूल कांग्रेस पर जबरस्ती की ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो लगो भाजपा से जुड़ रहे हैं तृणमूल कांग्रेस उन्हें जबरदस्ती डरा-धमका कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल कर रही है। पुरुलिया से पहले भाजपा के विस्तारक अभियान के तहत अमित शाह नक्सलबाड़ी के जिस आदिवासी परिवार के घर खाना खाए थे। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें जबरस्ती तृणमूल में शामिल होने की घोषणा की थी। बाद में वे फिर से भाजपा के समर्थक बन गए।
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