ग्राउंड जीरो रिपोर्ट
कचुआ धाम
भगदड़ में छह लोगों की मरने की घटना के दूसरे दिन शनिवार को जब उत्तर 24 परगना जिले बसीरहाट क्षेत्र स्थित कचुआ धाम की पहुंचे तो वहां रिमझिम बारिश हो रही थी और वहां की स्थिति सामान्य रही। लेकिन स्थिति को तूल पकडऩे से रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन में खलबली मची रही।
इस दिन मंदिर खुला था और बाबा लोकनाथ में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पूजा-पाठ करने के बाद वे बाबा लोकनाथ मंदिर से कुछ ही दूर उस स्थान को देख और आपस में बातचीत करते नजर नजर आ रहे थे, जहां शुक्रवार तडक़े करीब दो बजे जलाभिशेख के लिए आई श्रद्धालुओं की भारी भीड़ में भगदड़ होने से लोगों की मौत हुई थी। लेकिन जन्माष्ठमी बीत जाने के कारण शुक्रवार तडक़े हुई जमा हुई श्रद्धालुओं की भीड़ के मुकाबले इस दिन श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम रही।
मंदिर के इर्द-गिर्द के इलाकों में शान्ति रही। पुलिस सीविक वोलेंटियर एक जगह बैठ कर बातचीत करे या हेड फोन लगा कर मोबाईल पर गाने सुनते नजर आए।लेकिन इसके उलट मामले को विस्फोटक होने से रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन में भीतर-ही भीतर खलबली मची रही। मंदिर के आस-पास के इलाकों में बुनियादी ढ़ाचा विकसित करने का वादा करने के बाद उन्हें शीघ्र ही अमली जामा पहनाने के लिए प्रशासनीक अधिकारी अपनी सक्रियता तेज कर दिया है। लेकिन सब कुछ चुपचाप हो रहा है। स्थानीय प्रशासन इस मामले में चुप्पी साध रखा है।
लेकिन मामले को विस्फोटक होने से रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन, मंत्री, तृणमूल कांग्रेस और पार्टी के स्थानीय जनप्रतिनिधियों में मची खलबली की आहत मंदिर प्रबंधन के उच्च पदाधिकारियों की बयान में मिल रही है।
लोकनाथ मिशन के अध्यक्ष विष्णुपद राय चौधरी ने बताया कि जिला प्रशासन ने रविवार को बैठक में हमे बुलाया है। बैठक में मंदिर आने वाले सात से आठ फूट चौड़े रास्ते को 20 फूट चौड़ा करने, आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा और अन्य बुंनियादी ढाचा विकसित करने के बारे में विस्तार से बातचीत होगी। प्रशासन ने कहा है कि बैठक में हुए फैसले पर एक सप्ताह के भीतर काम शुरु कर दिया जाएगा।
सडक़ किनारे के दुकानदारों से पंचायत लेता था कर
राय चौधरी बताते है कि पहले तो सडक़ सात से आठ फूट चौड़ा है। इसके बाद सडक़ के दोनों किनारे दुकानदार दुकान लगा लिए हैं। नतीजा रास्ता सरकरा हो गया है। जहां घटना हुई है उस तालाब खरीद कर लोकनाथ मिशन रास्ते को 20 फूट चौड़ा करने की बार-बार कोशिश किया। लेकिन प्रत्येक बार तालाब के छह हिस्सेदारों में से कोई न कोई अड़ंगा डाल देता था। अब प्रशासन सक्रिय हुआ है। देखा जाए क्या होता है।
इसके बाद तालाब में बांस गाड़ कर सडक़ किनारे दुकान लगाने वाले दुकानदारों से मिला तो उन लोगों ने जो कहानी बताई और दस्तावेज दिखाए उससे साफ हो गया कि वहां की अव्यवस्था के बारे में तृणमूल कांग्रेस संचालित स्थानीय पंचायत को सब कुछ मालूम था। संजय समाजदार बताते है कि वे वर्षों से साल उक्त तालाब में बांस गाड़ कर अपनी दुकान लगाते रहे है। पंचायत उनसे प्रति दुकान 10 रुपए कर लेता रहा और कहता जाता था कि पंचायत दुकानों के लिए बुंनियादी ढ़ाचा विकसित करेगा। लेकिन पंचायत के जनप्रतिनिधि इस बात को ले कर खामोश हैं।