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क्यों मंत्री और सांसदों को कीमती मछलियां भेंट दे रहे हैं तृणमूल पार्षद

locationकोलकाताPublished: Feb 05, 2020 10:49:35 pm

Submitted by:

Manoj Singh

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके फंडा बता रहे हैं। इसके बावजूद पार्टी के पार्षद क्यों आतंकित हैं और वे अपने सांसदों और मंत्रियों से मिलने उनके घर जा कर मछली क्यों भेंट दे रहे हैं।

क्यों मंत्री और सांसदों को कीमती मछलियां भेंट दे रहे हैं  तृणमूल पार्षद

क्यों मंत्री और सांसदों को कीमती मछलियां भेंट दे रहे हैं तृणमूल पार्षद

तृणमूल कांग्रेस के पार्षद क्यों हैं आतंकित

कोलकाता .
पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को चुनाव जीतने का फंडा बताने के लिए नियुक्त रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके के आतंक से पार्षद आतंकित हैं। वे अपनी पार्टी के सांसदों, मंत्रियों और मममता बनर्जी के करीबी नेताओं से मिलने के लिए उनके घर जा रहे हैं और उन्हें भेंट में मछली दे रहे हैं। वे ऐसा क्यों कर रहे हैं।

वर्ष 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले इस वर्ष होने वाले केएमसी और दूसरे स्थानीय निकायों के चुनाव को सेमी फाइनल करार देते तृणमूल कांग्रेस जिताऊ नेताओं की सूची तैयार करवा रही है। प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस के पार्षदों के कामकाज एवं व्यवहार के आधार पर उनकी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

पार्टी के सूत्रों ने बताया कि इस बार चुनाव में स्वच्छ छवि वाले पार्षदों और जीत की उम्मीद जगाने वाले नेताओं को ही टिकट दिया जाएगा। इसका फैसला पीके की रिपोर्ट के आधार पर की जाएगी और पीके ने केएमसी के कई पार्षदों के नाम काली सूची में शामिल कर दिया है। ऐसी स्थिति में अपना टिकट कटने की आशंका से परेशान हैं।

तृणमूल कांग्रेस के पार्षद अपने टिकट कटने की आशंका से इतने आतंकित है कि वे पीके की सूची में अपना नाम मालूम करने के लिए कालीघाट पहुंच रहे हैं। वे बड़े नेताओं, मंत्रियों एवं सांसदों को बार-बार फोन कर रहे हैं। वे इतनी बार फोन कर रहे हैं कि पार्टी के बड़े नेता और सांसद परेशान हो गए हैं। यही ही नहीं कई पार्षद उनसे मिलने उनके घर जा रहे हैं और भेंट में उन्हें भेंट की मछली, झींगा और अन्य कीमती मछली दे रहे हैं।
पार्टी प्रमुख ही तय करेंगी उम्मीदवारी

तृणमूल के एक नेता ने बताया कि पार्षदों को बताया गया है कि किसी की उम्मीदवारी पार्टी प्रमुख ही तय करेंगी। बाकी किसी सूची का कोई अर्थ नहीं है। इसके बाद भी पार्षदों के दिमाग से पीके का भूत नहीं निकल पा रहा है। सूत्रों के अनुसार निगम चुनाव के पहले पीके ने पार्षदों के कामकाज एवं उनके व्यवहार के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें प्रमोटिंग करने वाले तथा जनता के साथ दुव्र्यवहार तथा पानी के कनेक्शन या नाला बनाने के नाम पर पैसे लेने के आरोप लग चुके पार्षदों के नाम काली सूची में शामिल किए गए हैं। ऐसे पार्षदों को फिर से टिकट नहीं मिलने की आशंका है।

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