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बंगाल की इस नेता को आखिर इफ्तार पार्टी में जाना क्यों भाता है, जानिए…

locationकोलकाताPublished: Jun 04, 2019 02:29:29 pm

Submitted by:

Prabhat Kumar Gupta

पश्चिम बंगाल में भाजपा की धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति इन दिनों काफी तेज है। हाल में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस उन्हीं इलाकों में अपना साख बचा पाने में सफल रही है जहां की आधी से अधिक आबादी मुस्लिम हैं।

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बंगाल की इस नेता को आखिर इफ्तार पार्टी में जाना क्यों भाता है, जानिए…


कोलकाता.
पश्चिम बंगाल में भाजपा की धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति इन दिनों काफी तेज है। हाल में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस उन्हीं इलाकों में अपना साख बचा पाने में सफल रही है जहां की आधी से अधिक आबादी मुस्लिम हैं। 2011 में राज्य की सत्ता में आने के बाद से ही सुप्रीमो ममता बनर्जी ईद का नमाज हो या दुर्गापूजा का कार्निवल या फिर बिहार की मशहूर चार दिवसीय छठ पूजा का त्योहार हो, निजी तौर पर हाजिर होने का भरसक प्रयास करती रहीं। हाल के दिनों में उन पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने का भी आरोप लग चुका है। लोकसभा चुनाव नतीजों की समीक्षा के दौरान पार्टी सांसदों तथा कोर कमेटी की बैठक के बाद ममता ने यह स्पष्ट कर ही दिया कि राज्य में पिछले 8 साल के शासन में उन्होंने जनहित में काफी कुछ किया पर उसका फल उन्हें नहीं मिला। मुस्लिम इलाकों में तृणमूल का शानदार प्रदर्शन पर उनका टका सा जवाब था कि जो गाय दूध देती है, उसका लताड़ खाने में कोई हर्ज नहीं है। मुसलमानों के कार्यक्रमों में जाना यदि अपराध है वह इस तरह की अपराध सौ बार करेंगी। पश्चिम बंगाल में जय श्रीराम के नारे पर मचे बवाल के बीच तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो तथा सीएम ममता बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता नगर निगम की ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी में हिस्सा लिया। राज्य सचिवालय नवान्न में जय श्रीराम को लेकर भाजपा को आड़े हाथों लेने के बाद मुख्यमंत्री सीधे इफ्तार पार्टी में जा पहुंचीं। इफ्तार के कार्यक्रम में राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम के साथ मुख्यमंत्री पहुंची थीं। उनके पहुंचने के बाद इस्लामिक रीति-रिवाज के तहत अल्पसंख्यक रोजेदारों ने अपना रोजा खोला। इसके पूर्व रोजे की नमाज भी अता की गई, जिसमें ममता शरीक हुई।
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