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अजब गजब सुंदरवन, सैकड़ों विधवाएं बताती हैं सुंदरवन के खतरे

locationकोलकाताPublished: May 20, 2018 07:43:14 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

सुंदरवन में ऐसी विधवा महिलाओं की संख्या सैकड़ों में हैं जिनके अपनों को शेर का जबड़ा और खूनी पंजे उनसे दूर कर चुका है

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अजब गजब सुंदरवन, सैकड़ों विधवाएं बताती हैं सुंदरवन के खतरे


सुंदरवन. विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों वाले डेल्टा सुंदरवन में सिर्फ मैनईटर टाइगर, खूंखार सरीसृप मगरमच्छ ही नहीं मिलते यहां सैकड़ों किस्म के पशु पक्षी, सरीसृप, जलीय जीव भी मिलते हैं। इसके साथ ही विषम परिस्थितियों में निवास करने वाले लाखों लोग भी इन्हीें जंगलों में अपनी दो जून की रोटी तलाशते हैं। जंगली जानवरों और जंगलों में गए लोगों के बीच संघर्ष के भी नियमित तौर पर मामले सामने आते रहते हैं। सबसे बड़ा संघर्ष शेरों और मानवों के बीच होता है। ज्यादातर मामलों में बली आदमी ही बनता है और उसका परिवार कभी न खत्म होने वाली मुसीबतों के जाल में फंसने लगता है। सुंदरवन में ऐसी विधवा महिलाओं की संख्या सैकड़ों में हैं जिनके अपनों को शेर का जबड़ा और खूनी पंजे उनसे दूर कर चुका है। ऐसी विधवाओं को न सिर्फ रोजी रोटी के लिए परेशान होना पड़ता है बल्कि सुंदरवन के ग्रामीण समाज में उन्हें उलाहना का भी सामना करना पड़ता है।
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स्वामी खेको कह कर दी जाती है उलाहना
जंगलों में शहद, केकड़े, मछली, मीन व अन्य वनोपज के लिए जाने वाले पुरुषों की विवाहिताएं उनके लौटने तक सादगी और संयम का पालन करती हैं। मान्यताओं के मुताबिक पुरुषों के लौटने तक वे शाकाहारी भोजन करती हैं, रंगीन कपड़ों से परहेज करती हैं। सजावट, श्रृंगार से दूर रहती हैं। अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा पाठ करती हैं। जंगल गए पुरुषों को कभी कभी हफ्ते भर तक बाहर ही रहना पड़ता है ऐसे में उनकी विवाहिताएं संयम का पालन करती हैं। इस दौरान यदि किसी बाघ ने उन्हें अपना शिकार बना लिया तो उन्हें स्वामी खेको कह कर प्रताडि़त किया जाता है। जिसका शाब्दिक अर्थ पति हंता होता है। सुंदरवन में सक्रिय स्वयंसेवी संस्थाएं जागरुकता अभियान चलाकर इस सामाजिक कुरीति को दूर करने का प्रयास कर रही हैं। पर सैकड़ों की संख्या में मौजूद विधवाओं का सामाजिक, आर्थिक पुर्नवास अभी भी चुनौती बना हुआ है।
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मुआवजे में भी आती है दिक् कत
राज्य सरकार की ओर से जंगली जानवरों के हमले में मारे जाने वाले लोगों के लिए घोषित मुआवजा पाने में भी विधवाओं को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है। नियमों के मुताबिक बफर जोनमें होने वाले हमले के लिए तो सरकार मुआवजा देती है लेकिन कोर एरिया में होने वाले हमले के लिए उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिलता। नियमों के अनुसार कोर एरिया में किसी भी किस्म की व्यवसायिक गतिविधि का संचालन नहीं किया जा सकता। दूसरी बड़ी समस्या मृतकों के अवशेष जुटाने की होती है। शेरों के जबड़े और पंजों में फंसे लोगों के अवशेष जुटाना न सिर्फ खतरनाक होता है बल्कि कई बार अवशेष जुटाने गए दल पर शेर के हमले के मामले भी सामने आए हैं। बिना अवशेष के मुआवजा नहीं मिलता।
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सुलभ इंटरनेशनल आया सामने
वृंदावन की विधवाओं के कल्याण के लिए काम कर सुर्खियां बटोर चुका सुलभ इंटरनेशनल ने हाल ही में सुंदरवन की शेर के हमलों में विधवा हुई महिलाओं के विकास का बीड़ा उठाया है। राज्य सरकार ने भी सहायता का हाथ बढ़ाया है।
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