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जब तक नियुक्ति पत्र नहीं मिलता तब तक धरना मंच से नहीं हटेंगे

locationकोलकाताPublished: Oct 09, 2022 11:10:15 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

धरने के 574 दिन बाद भी एसएससी अभ्यर्थियों के हौसले कमजोर नहीं हुए। उनका कहना है कि जब तक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाता तब तक वे धरना मंच से नहीं हटेंगे। इससे पहले दुर्गा पूजा कार्निवल के चलते एसएससी अभ्यर्थियों को धरना से हटने के लिए कहा गया था।

जब तक नियुक्ति पत्र नहीं मिलता तब तक धरना मंच से नहीं हटेंगे
जब तक नियुक्ति पत्र नहीं मिलता तब तक धरना मंच से नहीं हटेंगे
धरने के 574 दिन बाद भी एसएससी अभ्यर्थियों के हौसले बुलंद
प्रदर्शनकारियों ने की देवी लक्ष्मी की पूजा
कोलकाता. धरने के 574 दिन बाद भी एसएससी अभ्यर्थियों के हौसले कमजोर नहीं हुए। उनका कहना है कि जब तक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाता तब तक वे धरना मंच से नहीं हटेंगे। इससे पहले दुर्गा पूजा कार्निवल के चलते एसएससी अभ्यर्थियों को धरना से हटने के लिए कहा गया था। कोजागरी लक्ष्मी पूजा के दिन रविवार को प्रदर्शनकारियों ने देवी लक्ष्मी की पूजा भी की। धर्मतल्ला के धरना मंच चौक पर दुर्गा पूजा के बाद कोजागरी लक्ष्मी पूजा पर ये नजारा देखने को मिला। किसी ने गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया तो किसी ने मातंगिनी हाजरा प्रतिमा के नीचे। कोजागरी लक्ष्मी पूजा के दिन भी उन्होंने मंच नहीं छोड़ा। किसी ने देवी की छोटी मूर्ति को हाथ में ले लिया। उनका कहना है कि धरने के 574 दिन बीत चुके कोर्ट ने फैसला भी सुनाया। लेकिन अब तक नौकरी नियुक्ति पत्र नहीं आया। कोई 5 साल से बेरोजगार है तो कोई 3 साल से। रोजगार पत्र की मांग को लेकर वे धूप, आंधी और बारिश में भी उनका विरोध जारी है।
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अब और कितना कष्ट
एक आंदोलनकारी को लक्ष्मी के रूप में प्रदर्शित कर उसके हाथ में कमल फूल और चावल को दर्शाया गया। उनके हाथों की तख्तियों में अलग-अलग नारे लिखे थे जिसमें ....आओ मां लक्ष्मी हमारे मंच पर बैठो, मां लक्ष्मी, हमारे धरना मंच पर बैठो, अब और कितना कष्ट दोगी?जैसे स्लोगन शामिल थे।
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मौत का रास्ता चुनने की धमकी
नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों ने कहा कि यदि उन्हें रोजगार पत्र नहीं मिला तो वे भूख हड़ताल या स्वैच्छिक मृत्यु पर चले जाएंगे। प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा हम परिवार को छोड़कर दिन-ब-दिन यहां बिताते हैं। फिर भी अगर प्रशासन ने हमारी मांगें नहीं सुनी तो मौत का रास्ता चुनने के अलावा कोई चारा नहीं है।
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