बीमारी पर भारी पड़ा लोकतंत्र का उत्साह
कोलकाताPublished: May 08, 2019 03:36:23 pm
-बुजुर्गो ने भी दिखाया जोश, जज्बा-जुनून—बंगाल में पांचवे चरण में ७ लोकसभा सीटों का चुनाव
बीमारी पर भारी पड़ा लोकतंत्र का उत्साह
कोलकाता. 17वें लोकसभा चुनाव में जहां एक ओर उम्मीदवारों के बीच रोचक मुकाबले देखे जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नए और बुजुर्ग मतदाताओं ने भी जोश, जज्बा-जुनून के साथ सोमवार को मतदान किया। असाध्य रोग से ग्रसित होने के बावजूद कुछ ऐसे मतदाता भी मतदान केंद्र पहुंचे, जिन्होंने लोकतंत्र के उत्सव पर बीमारी को हावी नहीं होने दिया और उमंग-उत्साह के साथ बगैर किसी दबाव के वोट डाले। श्रीरामपुर संसदीय क्षेत्र के उत्तरपाड़ा, हिन्दमोटर, कोननगर, रिसड़ा, श्रीरामपुर आदि स्थानों में सोमवार को यह नजारा दिखा। हिंदमोटर के राजमोहन पाल बालिका विद्यालय में बने पोलिंग बूथ में लकवा से ग्रस्त होने के बावजूद ६२ वर्षीया तांद्रा सरकार ने उमंग-उत्साह के साथ लोकतंत्र उत्सव में हिस्सा लिया। पत्रिका संवाददाता के साथ खास बाचतीत में उन्होंने कहा कि उनपर न तो किसी का दबाव है और न ही उन्हें अपनी बीमारी की कोई परवाह। वाम समर्थित संगठन डेमोक्रेटिक यूथ फैडरेशन ऑफ इंडिया प्रेसीडेंट राहुल तांती ने उन्हें सहारा देते हुए मतदान केंद्र तक लाने में सहयोग किया। मूल रूप से आरा के निवासी सुरेंद्र कुमार पांडे ८५ साल की उम्र में भी अपनी पत्नी कमल कुमारी पांडे (८४) के साथ मतदान करने पहुंचे। खास बात यह रही कि उम्र के इस पड़ाव पर जहां लोग मतदान के लिए घर से निकलने में हिचकिचाते हैं वहीं आदर्श नगर में फिलहाल निवासरत इस इलाके के सबसे बुजुर्ग दंपत्ति अपने नाती-पोते के गोद में सवार होकर विद्या विकास विद्यालय मतदान केंद्र गए और मतदान करने के बाद आम नागरिकों को भी मतदान करने के लिए प्रेरित किया। दक्षिण-पूर्व रेलवे से बतौर राजभाषा अधिकारी के पद से १९९२ में रिटायर सुरेंद्र कुमार पांडे सप्तनीक ने पत्रिका के साथ खास बातचीत में कहा कि चुनाव में हर एक वोट का अहम महत्व है। इस उम्र में मतदान कर वे खुद को एक जागरूक मतदाता के तौर पर जनता के सामने मिसाल पेश की है। उनकी पत्नी कमल ने कहा कि जब सरकार कर्मचारियों को पेंशन देती है, तो यह हमारा कर्तव्य है कि जीवन के अंतिम पड़ाव तक हमें मताधिकार का प्रयोग कर केंद्र में एक मजबूत सरकार बनाने में सहयोग करना चाहिए।